World Health Day : सपोर्ट नर्सेस एंड मिडवाइव्स
हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्षगांठ के अवसर पर ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई थी । संस्था का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा शहर में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्थापना के समय इसके संविधान के कागजात पर 61 देशों ने हस्ताक्षर किये और इसके बाद 24 जुलाई 1948 को इसकी पहली बैठक हुई । विश्व स्वास्थ्य संगठन जिसे अंग्रेजी में वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) कहते हैं , यूनाइटेड नेशन अर्थात संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है। डब्ल्यूएचओ पूरे विश्व में स्वास्थ्य समस्याओं को ढूंढने एवम इसके निवारण के लिए तत्पर रहता है।
इसलिए 7 अप्रैल को डब्ल्यूएचओ की स्थापना दिवस को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ की शुरुआत 1950 में हुई थी। डब्ल्यूएचओ का मुख्य उद्देश्य विश्व के कोने कोने में स्वास्थ्य समस्याओं पर विचार विमर्श करना है । स्वास्थ्य संबंधी मिथ्याओं को दूर करने से लेकर जागरूकता अभियान जैसे कार्य भी इसके मुख्य उद्देश्य हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी नीतियां बनाने एवं सभी देश की सरकारों को इसके क्रियान्वयन के लिए प्रेरित भी करना भी इसके उद्देश्यों में एक है।
पूरे विश्व के साथ भारत मे भी डब्ल्यूएचओ ने कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हल निकाला है ,साथ हीं जागरूकता अभियान भी चलाए हैं।अपने शुरुआती दौर से लेकर अब तक डब्ल्यूएचओ ने स्मॉल चिकेन पॉक्स जैसी बीमारी को खत्म करने में बड़ी भूमिका निभाई है। भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ की मदद से पोलियो जैसी महामारी को खत्म करने में सफलता पैहसिल किया है। वर्तमान में भी डब्ल्यूएचओ टीबी, एचआईवी, एड्स और इबोला जैसी जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिए वैक्सिनेशन से लेकर जागरूकता अभियान जैसे काम कर रहा है ।
इस वक़्त जब 200 से ज्यादा देश कोरोना जैसी भयावह और वैश्विक महामारी से जूझ रहे हैं ऐसे में , कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने के लिए कई देशों की सरकारों के साथ मिलकर विश्व स्वास्थ्य संगठन काम कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य दिवस पर हर साल एक थीम रखी जाती है और उस विषय को लेकर अभियान भी चलाया जाता है। इस बार कोरोना जैसी बीमारी में नर्सों और मिडवाइव्स के योगदान और उनकी स्थिति को देखते हुए 2020 के थीम के रूप में ” सपोर्ट नर्सेस एवम मिडवाइव्स” रखा गया है।
आज 72वां विश्व स्वास्थ्य दिवस है। डब्ल्यूएचओ इस वर्ष उन नर्सों और मिडवाइव्स के योगदान को सम्मान दे रहा है, जो कोडिव-19 की जंग के खिलाफ दुनिया को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। इस साल स्वास्थ्य दिवस ने बहुत ही मार्मिक थीम चुना है “नर्सों और मिडवाइव्स यानी दाइयों का योगदान”। इस बार की थीमअत्यंत महत्वपूर्ण है क्यूंकि जब देश ही नहीं बल्कि विश्व कोरोना जैसे महामारी को झेल रहा है ऐसे में इन नर्सों और मिडवाइब्स का योगदान अतुलनीय है।
इस मौके पर आज फ्लोरेंस नाइटिंगल की चर्चा लाज़िम है । फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक अंग्रेजी सामाजिक सुधारक और सांख्यिकीविद और आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक थी। क्रीमियन युद्ध के दौरान फ्लोरेंस ने प्रशिक्षित नर्सो के मैनेजर होने की भूमिका निभाई, वहाँ वह घायल सैनिको की सहायता कर रही थी।उन्होंने नर्सिंग को पहचान दिलवाई और विक्टोरियन कल्चर की आइकॉन बनी, उनके कार्यो को देखते हुए उन्हें “दी लेडी विद दी लैंप” की उपाधि भी दी गयी है। डब्लूएचओ ने इस बार नर्सो के सम्मान में थीम जारी किया है, इसका पालन सभी को करना है। एक स्री क भीतर ममत्व की भावना होती है ,सेवा भाव से सराबोर स्त्री न बस मरीज की ऑपचारिक देख रेख करती है बल्कि एक माँ क रूप में भावनात्मक सतह भी देती है। मरीज महज डॉक्टर के इलाज मात्र से ठीक नहीं होता है, बल्कि नर्सों की देखभाल और मिडवाइव्स की सफाई से भी स्वस्थ होता है । किसी भी मरीज के ठीक होने में जितना श्रेय किसी डॉक्टर को जाता है उतना ही नर्स को भी जाना चाहिए। इस महामारी के समय भी अभी सबसे ज्यादा चुनौतियों के साथ नर्सें ही काम कर रही है। अंततः जनतंत्र टीवी अपने सभी पाठक और दर्शक के लिए यही कामना करता है कि
“सभी सुखी हों, रोग मुक्त हों, रहें सभी जन सदा अभय, समता, प्यार व दृढ़ निष्ठा से, लगातार हो राष्ट्रोदय।’’