Nithari Case: निठारी केस के दोषियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है। उन पर लगी फांसी की सजा को भी रद्द कर दिया है। बहुचर्चित नोएडा के निठारी कांड पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोहली और मनिंदर सिंह पंढेर की अपीलों को मंजूर किया और फांसी की सीजन को रद्द करते हुए दोनों आरोपियों को बरी कर दिया है। सबूतों के अभाव में सुनाया गया फैसला।
बता दें कि आरोपी सुरेंद्र कोली और उसके सह-आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी किया गया। कोर्ट ने सबूत के आधार पर कोली को 12 मामलों पर निर्दोष पाया। हालांकि इससे पहले उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी।
जानें क्या कहा सीबीआई के अधिवक्ता ने?
इस विषय पर बोलते हुए सुनील कुमार यादव सीबीआई के अधिवक्ता ने आश्चर्य प्रतीत किया, कि जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा है उसे मामले पर हाईकोर्ट द्वारा सजा को निरस्त कैसे किया गया? यह आश्चर्य करने की बात है सीबीआई इस पूरे फैसले के खिलाफ अपील करेगी और सीबीआई द्वारा दिए गए फैसले को आधार बनाते हुए सजा को बरकरार रखने की मांग करेगी।
बता दें क्या है पूरा मामला?
सुरेंद्र कोहली पर आरोप है कि, वह नोएडा की पंढेर कोठी का केयरटेकर था, जहां लड़कियों को लालच देकर वह कोठी में लाता था। निठारी गांव की करीव 19 लड़कियों गायब हो गई थीं। कोली उनके साथ रेप करता था। फिर उनकी हत्या कर देता था। इसके बाद लाश के टुकड़े कर उन्हें फेंक देता था। इसके बाद 29 दिसंबर, 2006 निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे के नाले से 19 कंकाल बरामद किए गए थे। कोली और पंढेर को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया, फिर इसे सीबीआई के हवाले किया गया
खुलासे का बाद क्या?
गाजियाबाद में साल 2006 में हुआ निठारी कांड का खुलासा इसके बाद हाईकोर्ट में अपील हुई थी। सीबीआई के कोर्ट द्वारा दोनों आरोपियों को सजा मौत सुनाया गया था और इस पूरे मामले में दोनों आरोपियों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में सजा मौत के खिलाफ अपील दायर की गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट में 134 कार्य दिवस में अपील पर सुनवाई करते हुए कुछ याचिकाओं को निरस्त कर दिया। जबकि एक मामले में फांसी की सजा को बरकरार रखा है एवं एक अन्य मामले को देरी के आधार पर उम्र कैद में तब्दील कर दिया है।
आरोपियों की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई थी, कि इस घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य सबूत के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया है और फांसी की सजा दी गई है, जिसको आधार बनाकर आरोपियों ने फांसी की सजा को निरस्त करने की मांग की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मनिंदर सिंह पंढेर को एक मामले में पहले ही सजा से बरी कर दिया था।