नई दिल्ली: JG Crawford Oration 2021: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि दुनिया अंतरराष्ट्रीय संबंधों के नए चरण में प्रवेश कर रही है। जयशंकर ने कहा कि अगर हम उभरती हुई ताकतों की बात करते हैं तो इसके मूल में इंडो-पैसिफिक बहुत ज्यादा होगा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में एशिया, यूरोप की तुलना में ज्यादा डायनामिक रहा है, लेकिन इसका रीजनल आर्किटेक्चर कही ज्यादा रुढ़िवादी है।
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JG Crawford Oration 2021: एशिया और इंडो-पैसिफिक
विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि एशिया और इंडो-पैसिफिक बहुत ज्यादा विस्तृत हैं। यहां ज्यादा विविधता है. एशियाई उप-क्षेत्रों के विकास और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के चलते उन्हें अपनी आर्थिक यात्रा के लिए न्यूनतम नजरिया लेने के लिए प्रेरित किया है।
(JG Crawford Oration 2021) अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मूल में होगा
हम वैश्विक दबदबे के लिहाज से देखें तो अमेरिका एक मजबूत शक्ति के रूप में स्पष्ट रूप से संघर्ष कर रहा है। आने वाले नए दौर में चीन के फिर से उभरने का प्रभाव प्रमुख वैश्विक ताकतों की तुलना में अधिक महसूस किया जाएगा। विदेश मंत्री जेजी क्रॉफर्ड ओरेशन 2021 को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले वक्त में कोई दो राय नहीं कि इंडो-पैसिफिक अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मूल में होगा।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के नए चरण में प्रवेश
एस जयशंकर ने कहा कि आइए स्पष्ट करें कि यह केवल एक शक्ति के उदय के बारे में नहीं है। हमने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के नए चरण में प्रवेश किया है। ऐसे में चीन के फिर से उभरने का पूरा प्रभाव सभी प्रमुख शक्तियों की तुलना में ज्यादा महसूस किया जाएगा।
कई कमजोरियां और संरचनात्मक बाधाएं
जयशंकर ने कहा कि जहां अमेरिका एक मजबूत शक्ति के रूप में स्पष्ट रूप से संघर्ष कर रहा है। वह प्रभाव को मजबूत करने की शक्तियों से जुड़ा हुआ है। प्रतिस्पर्धा के समकालीन रूपों में कई कमजोरियां और संरचनात्मक बाधाएं भी हैं।
देश अपनी सेनाओं को सीमा पर नहीं लाएंगे
विदेश मंत्री ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के मसले पर स्व. राजीव गांधी के 1988 में चीन दौरे का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा- सन 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए थे। हमारे संबंध इस तथ्य पर आधारित थे कि सीमा पर शांती होगी। दोनों देश विभिन्न समझौतों के जरिए इस पर आगे भी बढ़े जिससे विश्वास पैदा हुआ। इसमें कहा गया था कि दोनों ही देश अपनी सेनाओं को सीमा पर नहीं लाएंगे।
जयशंकर की डेनमार्क की पहली यात्रा
विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया कि यह जयशंकर की डेनमार्क की पहली यात्रा है और बीते 20 साल में किसी भारतीय विदेश मंत्री की भी इस देश की पहली यात्रा है। जयशंकर ने यहां भारतीय समुदाय के सदस्यों से ऑनलाइन बातचीत की और भारत की सकारात्मक छवि बनाने के लिए उनका आभार जताया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘डेनमार्क में डिजिटल तरीके से ही सही, भारतीय समुदाय से मिलकर प्रसन्नता हुई. उन्होंने भारत की जो छवि बनाई है, उसकी सराहना करता हूं. विश्वास है कि वे हमारे देशों के बीच प्रभावी सेतु बने रहेंगे। हमारे गहन होते संबंध भी उनके योगदान को झलकाते हैं।