ऐसा रहा प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक सफर
प्रणब मुखर्जी को सियासी गलियारे में प्रणब दा के नाम से पुकारा जाता था। राजनीति में उनके लंबे चौड़े अनुभव का लोहा हर कोई मानता है। यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी के पास वित्त मंत्रालय संभालने के अलावा कई अहम जिम्मेदारियां थीं। उन्हें कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ कहा जाता था। प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बांग्ला कांग्रेस से की थी।
- जुलाई 1969 में वे पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए।
- इसके बाद वे साल 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के सदस्य रहे।
- इसके अलावा 1980 से 1985 तक सदन के नेता भी रहे। मई 2004 में वे चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और 2012 तक सदन के नेता रहे।
- एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। 1986 में प्रणब दा को कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
- इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी पीएम बने। राजीव के पीएम बनने के बाद प्रणब मुखर्जी को पार्टी में किनारे कर दिया गया। वे कैबिनेट से बाहर कर दिए गए।
- इस सब से नाराज होकर आखिरकार प्रणब मुखर्जी ने 1986 में कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया।
- 1988 में उन्होने कांग्रेस दुबारा ज्वाइन कर ली थी।
- 2004 में सोनिया गांधी ने जब पीएम बनने से मना कर दिया था, तो प्रणब मुखर्जी का नाम भी प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हुआ। प्रणब मुखर्जी को मनमोहन सिंह की सरकार में रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री जैसे अहम पद मिले।
- 2012 में प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया और वो एनडीए समर्थित पी.ए. संगमा को हराकर देश के 13वें राष्ट्रपति बने।