जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: पानी पूरी का नाम तो सबने सुना होगा। जी हां यह एक ऐसी चीज है जिसे हर कोई खाना पसंद करता है। चाहें बच्चे हो या बूढ़े या चाहें लड़के हो या लड़कियां पानी पूरी का स्वाद हर किसी के मन को लुभाता है। लेकिन वहीं हर वयक्ति अलग-अलग तरह से गोलगप्पे खाना पसंद करता है।
जानकारी के लिए बता दें कि इसके अनेक नाम हैं कोई इसे गुप चुप बोलता है तो कोई गोलगप्पे कोई बताशे बोलता है तो कोई फुलकी। बता दें कि इस चाट (Street Food) के दीवानों की कमी नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गोलगप्पों का आविष्कार (Who Invented Golgappa) कहां से हुआ था।
भारत में स्ट्रीट फूड की गजब वैरायटी पाई जाती है। देश के अलग-अलग हिस्सों में गोलगप्पों के लिए अलग तरह का पानी और फिलिंग को पसंद किया जाता है। कोई गोलगप्पों में आलू भरता है, कोई चने तो कोई मटर, हर चीज का स्वाद बिल्कुल अलग होता है। एक-दो प्लेट पानी पूरी खा लेने के बाद वो आखिरी वाली सूखी पापड़ी का स्वाद भी मुंह में पानी ले आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका अविष्कार कहां और कैसे हुआ था।
जानकारी के लिए बता दें कि द्रौपदी जबपहली बार अपने पतियों के साथ ससुराल आईं थीं, तब कुंती ने उनसे कुछ ऐसा बनाने के लिए कहा था, जिससे पांडवों का पेट भर जाए। तब द्रौपदी ने पानी पूरी यानी गोलगप्पे तैयार किए थे। इसे खाकर पांडव काफी खुश हो गए थे और तब कुंती ने द्रौपदी को अमरता का वरदान दिया था।
माना जाता है कि पानी पूरी की शुरुआत मगध से हुई थी। आज इसे दक्षिणी बिहार के नाम से जाना जाता है। उस समय इसका नाम क्या रहा होगा, इसका तो किसी को अंदाजा नहीं है। हालांकि, कई जगहों पर इसके प्राचीन नाम ‘फुल्की’ का उल्लेख पाया जाता है।