नई दिल्ली : आज यानि17 अक्टूबर को सुहागन औरतों का त्योहार करवाचौथ है। पति की लंबी आयु के लिए हिंदुओं में करवा चौथ का व्रत सबसे पवित्र माना जाता है। इस दिन औरतें अपने पति के लबी उम्र के लिए व्रत रखती है, लेकिन कुछ कुंवारी लड़किया भी ये व्रत रखती है, अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए। करवा चौथ व्रत में औरतें चन्द्रमा की पूजा करती तो है ही, पर उसके साथ ही भगवान शिव, पार्वती, गणेश की पूजा भी होती है। चाँद देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती है और अपने पति के लंबी उम्र की प्राथर्ना करती है।
करवाचौथ की कहनी
ये व्रत कार्तिक माह के चतुर्थी को मनाया जाता है, इसलिए इसको करवाचौथ बोला जाता है। मान्यताओं के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवानकी प्राणों के लिए यमराज से भीख मांगी थी और अपने अपने पति के प्राणो को न ले जाने की विनती की थी। यमराज के न मानने पर सावत्री ने जल और अन्न को त्याग दिया था। सावित्री के इतने विनती करने के बाद यमराज ने सावित्री की विनती मानली और सत्यवान के प्राण बक्श दिए। तब से इसी कथा का अनुसरण कर औरतें अपने पति के लिए अन्न और जल का त्याग कर उनकी रक्षा और लबी उम्र की कामना करती है।
इस त्योहार पर मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है और उनके घर में सुख, शान्ति, समृद्धि मिलती है। करवा चौथ की पूजा में छलनी का काफी बड़ा महत्व माना जाता है। महिलाएं पूजा की थाली सजाते समय बाकी चीजों के साथ छलनी को भी थाली में जरूर जगह देती हैं। महिलाएं इसी छलनी से पति का मुंह देखकर अपना करवा चौथ का व्रत पूरा करती हैं। पूजा के दौरान महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद को देखने के बाद अपने पति का चेहरा देखती हैं, जिसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर शादीशुदा महिलाएं अपना व्रत पूरा करती हैं।