800 साल से चली आ रही परंपरा आज सुबह चार बजे उस समय समाप्त हो गयी जिस समय दो महिलाओं नें भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश किया । दरअसल एक 22 सेकेंड का वीडियों एएनआई के ट्विटर हैंडल में अपलोड़ की गयी जिसमें दिखाया जा रहा है । कि बुर्का नामा कपड़े पहने दो महिलायें तेजी से मंदिर के अंगर प्रवेश कर रही हैं । इसके बाद पता चला कि 40 वर्षीय उन महिलाओं का नाम कनकदुर्गा और बिंदू है ।
आपको बता दें कि भगवान अयप्पा को लेकर उनके भक्तों में ऐसी मान्यता है । कि भगवान ब्रंभचारी हैं और इसलिए उनके मंदिर में किसी रजस्वला महिला के प्रवेश पर पाबंदी है । इन सारी स्थिति के बावत मंदिर अपनी विशेषता 800 सालों तक सहेजे रहा ।
आपको बता दें कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर पाबंदी नहीं है। बल्कि रजस्वला महिलाओं के प्रवेश को पाबंदी है। यानी मंदिर की अपनी मान्यताओं के हिसाब से उसकी अपनी ये विशेषता है। ठीक वैसे ही जैसे पुस्कर के ब्रह्मा मंदिर में शादीशुदा पुरूषों का प्रवेश बर्जित है पर ये पुरूषों के साथ भेदभाव नहीं बल्कि उस मंदिर की अपनी विशेषता है। इसके अलावा भी भारत में ऐसे कई सारे मंदिर हैं जहां पुरूषों के प्रवेश पर पाबंदी है पर इसका मतलब ये नहीं कि ये पुरूषों के साथ भेदभाव है । बल्कि इसका मतलब ये है कि लाखों करोड़ों मंदिरों के बीच इस मंदिर की एक अपनी अलग विशेषता है ।
अगर भारत के मंदिरों में महिलाओं की स्थिति का जिक्र करें तो उस देश में जहां हर मंदिर महिलाओं की कम से कम दो तिहाई मौजूदगी के गवाह बनते हों । छोटे से छोटे किसी गांव के मंदिर से लेकर तिरुपति जैसे किसी बड़े मंदिर तक में जिस देश में महिलाएं ही महिलाएं ही दिखाई देती हों इसके अलावा जिस संस्कृति में हर दूसरा मंदिर में दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती का दरबार सजता हो। उस देश में अगर कोई महिलाओं के साथ धार्मिक आधार पर भेदभाव का जिक्र भी करता है। तो उसके एजेंडे को लेकर जरा सतर्कता बरतनी जरूरी है।