जनतंत्र डेस्क Chhath puja: आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत नहाए खाय के साथ हो गई है। चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से प्रारंभ हुआ है। यह त्योहार मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। हालांकि आज कल इस पर्व को अन्य प्रांतों में भी मनाया जाने लगा। लोक आस्था के पर्व पर छठ व्रती उगते और डूबते डुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी आराधना करते हैं।
संतान प्राप्ति और मंगलकामना के लिए छठ व्रत
छठी मैया की उपासना का महापर्व छठ संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। इस खास दिन छठ व्रती किसी नदी, तलाब या सरोवर के पास जाकर स्नान करती हैं। इसके बाद दिन भर में केवल एक बार ही सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। छठ के दूसरे दिन यानी पंचमी को खरना कहा जाता है। खरना के दिन छठ व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं।
छठ पूजा के लिए सामग्री
छठ पूजा के लिए महिलाएं कई दिनों पहले से ही तैयारियां करपने लगती हैं और सामग्री की एक बड़ी लिस्ट तैयार करती हैं। जिसमें साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, पीतल या बांस का सूप, दूध, जल, लोटा, शाली, गन्ना, मौसमी फल, पान, सुथना, सुपारी, मिठाई ली जाती हैं। सूर्य देव को छठ के दिन मौसम में मिलने वाली सभी फल और सब्जी अर्पण की जाती है।
Chhath puja: छठ पूजा विधि
चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व के दिन सबसे पहले दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन व्रती घर में पवित्रता के साथ बनाएं गए सात्विक भोजन को ही ग्रहण करती हैं। दूसरे दिन दिन निर्जला उपवास करने के बाद शाम को गुड़ की खीर यानी ‘रसियाव’ बनाया जाता है। जो प्रसाद के बाद खुद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद छठ का 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है। शाम को अर्ध्य दिया जाता है। लोग इस दिन छठ पर विशेष रूप से बनने वाले ठेकुए को प्रसाद के रूप में जरूर चढ़ाते हैं। इसके बाद पूजा के आखरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर छठ पर्व का खत्म करती है। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत को खत्म करती हैं।
Chhath puja: यहां देखें छठ पूजा का शेड्यूल
8 नवंबर 2021- (नहाय-खाय)
9 नवंबर 2021- (खरना)
10 नवंबर 2021- (डूबते सूर्य को अर्घ्य)
11 नवंबर 2021- (उगते सूर्य को अर्घ्य)