नई दिल्ली : शिव और शक्ति के मिलन के पावन अवसर महाशिवरात्रि व्रत पर इस साल कई अद्भुत योग बन रहे हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बनने से पर्व की महत्ता और अधिक हो गई है। महाशिवरात्रि पर्व की पूजा विधि-विधान के साथ करने से विशेष फलदायी मानी जाती है। पुराणों में भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था। इस बार 101 साल बाद महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग हो रहा है।
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शिवंलिग की पूजा
पंडितों ने बताया है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को संसार के कल्याण के लिए शिवलिग प्रकट हुआ था। महाशिवरात्रि को व्रत और पूजन करना सर्वोत्तम माना जाता है। शिवलिग का पूजन और रात्रि जागरण विशेष फलदायी होती है। उस दिन भगवान शिव की आराधना करने से कई गुना अधिक फल मिलता है।
11 मार्च सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक शिव योग होगा। उसके बाद सिद्ध योग होगा। जो कि 12 मार्च सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक होगा। शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते है। उसके साथ ही रात 9 बजकर 45 मिनट तक घनिष्ठा नक्षत्र होगा।
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महाशिवरात्रि व्रत विधि
शिवरात्रि के दिन पंचामृत से शिवलिग को स्नान करना चाहिए। उसके बाद ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही शिव पूजा के बाद अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहूति देनी चाहिए। ऊ : नम शिवाय के बाद भी किसी भी एक फल की आहुति देनी चाहिए । व्रत के पश्चात, ब्राह्मणों को खाना खिलाकर और दीपदान करके मानव स्वर्ग को प्राप्त कर सकता है। शिवलिग स्नान के लिए रात के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में शहद से स्नान कराने से विषेश फल की प्राप्ती होती है।