नई दिल्ली:Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Temple) निर्माण समिति की दूसरे व अंतिम दिन की बैठक में महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए राम मंदिर निर्माण की समय सीमा को निर्धारित कर दिया गया है। बैठक में यह दावा किया गया कि 2023 के अंत तक रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। रामलला के दर्शन भी श्रद्धालुओं के लिए 2023 के अंत तक शुरू हो जाएगा। तय योजना के अनुसार मंदिर का निर्माण कार्य 2023 तक और संपूर्ण परिसर का विकास 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
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Ayodhya Ram Temple: इकोफ्रेंडली राम जन्मभूमि परिसर का निर्माण
ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने यह जानकारी मीडिया को दी उन्होंने बताया कि राम मंदिर सहित संपूर्ण 70 एकड़ परिसर इको फ्रेंडली होगा। परिसर के अंदर सीवर व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना होगी जिससे लाखो की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं के प्रयोग होने वाले पानी व अन्य सुविधाओं से शहर को गंदगी मुक्त रखा जा सकेगा। परिसर के अंदर तापमान को सामान्य रखने के लिए ऑक्सीजन वाले रामायण कालीन, औषधि वाले पेड़ों का संरक्षण किया जाएगा। राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए नींव के ऊपर 16 फीट ऊंची प्लिंथ को मिर्जापुर के लाल पत्थरों से निर्मित किया जाएग।
चौखट मकराना के सफेद संगमरमर से बनेगी
मंदिर के दरवाजों की चौखट मकराना के सफेद संगमरमर से बनेगी। हालांकि खिड़कियों की चौखट के लिए बंसी पहाड़पुर के लाल बलुआ पत्थर को ही उपयोगी माना गया।
निर्माण के लिए होगा घनफुट पत्थरों का प्रयोग
प्लिंथ के बाहरी सीमाओं में ललितपुर के ग्रेनाइट पत्थरों की 3 लेयर को चारों ओर से लगाया जाएगा। जिससे प्लिंथ के साथ-साथ मंदिर की पानी से सुरक्षा हो सकेगी। राम मंदिर निर्माण के लिए 3 लाख 60 हजार घनफुट पत्थरों की जरूरत है। यह पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थर हैं। जिनसे रामलला के मंदिर का निर्माण होगा. इसके साथ ही नींव के ऊपर बनने वाले प्लिंथ में 4 लाख घनफुट मिर्जापुर के लाल पत्थरों के साथ-साथ ग्रेनाइट पत्थरो का भी प्रयोग होगा ।
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