जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ‘हरियाली तीज’ मनाई जाती है। इस साल सावन की हरियाली तीज 31 जुलाई 2022, रविवार के दिन पड़ रही है। यह पर्व भगवान शिवशंकर और माता पार्वती को समर्पित है।
Hariyali Teej: हरियाली तीज को हरियाली तीज क्यों कहा जाता है?
सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत बहुत महत्व रखता है। आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों ओर हरियाली होने के कारण इसे‘हरियाली तीज’कहते हैं। इस अवसर पर महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और आनन्द मनाती हैं।
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Hariyali Teej:हरियाली तीज क्यों मनाया जाता है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसके अलावा पौराणिक कथाओं में इस बात का भी उल्लेख है कि मां पार्वती ने भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थीं। यही कारण है कि ‘हरियाली तीज’ का त्योहार मनाया जाता है।
Hariyali Teej: हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए और अविवाहित महिलाएं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
हरियाली तीज पूजा का शुभ मुहुर्त
हरियाली तीज व्रत रखने वालों के लिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त 31 जुलाई सुबह 6:33 बजे से रात 8:33 बजे तक रहेगा।
व्रत रखने का शुभ मुहुर्त
यह योग 31 जुलाई को दोपहर में 2:20 से शुरू होगा और अगले दिन 6 बजे तक रहेगा।
Hariyali Teej: हरियाली तीज कैसे मनाया जाता है
यह पर्व करवा चौथ के बराबर होता है। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है। पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरियाली व्रत के समय सोने से बचना चाहिए।
Hariyali Teej:हरियाली तीज मनाने की शुरुआत कब की गई?
कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती सैकड़ों साल की साधना के बाद भगवान शिव से मिली थीं। यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया, फिर भी माता को पति के रूप में शिव मिल न सके।
माता पार्वती ने 108वीं बार जब जन्म लिया और हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में घोर तपस्या की। पुराणों की कथा के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान शिव देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए, साथ ही उन्हें अपनी पत्नी बनाने का वरदान दिया था और तभी से हरियाली तीज मनाने की शुरुआत हुई।