जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: उत्साह उमंघ और नई उर्जा का त्योंहार है होली। ये पर्व रंगो की बौछार से प्यार प्रेम और सौहार्द से सराबोर कर देता है। भारतीय त्योंहार अपने साथ कई परंपराओं और मान्यताओं को समेटे हुए होते हैं। यहां त्योंहार एक लेकिन मनाने के तरीके अनेक होते हैं। होली का त्योंहार यूं तो पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन देशभर में अलग-अलग जगह इसे मनाने का अंदाज भी अनूठा और अलग ही है। जिनमें से एक है ब्रज की होली जो विश्व प्रसिद्ध है।
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ब्रज की होली अपनी अनूठी और अनोखी परंपराओं के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां होली का जश्न बसंत पंचमी से लेकर होली तक चलता है यानी पूरे 50 दिन। इन दिनों मानों नंदनगरी रंग नगरी हो जाती है। ब्रज मंडल ठाकुरजी के गीतों से गुंजायमान हो जाता है। ठाकुरजी का श्रृंगार भी गुलाल से होने लगता है। ढोल और ढप के साथ रसिया गायन शुरू हो जाते हैं।
बरसाना की लट्ठमार होली
बरसाना की लट्ठमार होली को देखने विदेश से पर्यटक हर साल भारत आते हैं। फाल्गुन शुक्ल नवमी को बरसाना में नंद गांव के हुरियारों और बरसाना की गोपिकाओं के बीच लट्ठमार होली खेली जाती है।
लट्ठमार होली में नंदगांव के लोग खुद को श्रीकृष्ण का प्रतिनिधि मानते हैं और बरसाना के लोग खुद को राधा रानी का प्रतिनिधि मानते हैं। होली में नंदगांव के होरियारे बरसाना की गोपिकाओं को रंगो के बीच प्रेम भरी गालियां देते हैं। इस दौरान हंसी ठिठौली होती है जिसके बाद गोपियां हुरियारों पर लट्ठ बरसाती हैं। इस दौरान रंग रसिया गाया जाता है।
नंदगांव की लट्ठमार होली
अगले दिन यानी फाल्गुन शुक्ल दशमी को इसी तरह लट्ठमार होली नंदगांव में खेली जाती है। इस होली में नंद गांव की गोपिकाएं बरसाना के गोस्वामियों पर लाठियां बरसाती हैं।
ब्रज में रंगभरी एकादशी
नंदगांव की होली के अगले दिन पूरे ब्रज में रंगभरी एकादशी धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन ब्रज के मंदिरों में ठाकुर जी के सामने रंग-गुलाल, इत्र-केवड़ा और गुलाब जल की होली खेली जाती है। इस दौरान राधा-कृष्ण की झांकियां भी निकलती हैं। ब्रज मंडल का हर कोना रंगों से सराबोर हो जाता है।
वृंदावन में 5 दिन तक होली
वृंदावन में फाल्गुन शुक्ल एकादशी से फाल्गुन शुक्ल पूर्णमासी तक पूरे 5 दिन तक होली खेली जाती है। यहां लड्डू और जलेबी की होली भी होती है। एकादशी के दिन मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भी होली का रंगारंग कार्यक्रम होता है। यहां फूलों से भी होली खेली जाती है।
आजु बिरज में होरी रे रसिया,होरी रे रसिया बरजोरी रे रसिया कौन के हाथ कनक पिचकारीकौन के हाथ कमोरी रे रसिया।