जनतंंत्र डेस्क, नई दिल्ली: भारत के उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है।
इस स्थान का धार्मिक महत्व जगन्नाथ का मंदिर है जिसे कबीर परमात्मा ने डूबने से बचाया था, समुद्र श्री कृष्ण जी से त्रेता युग का बदला (श्री राम जी ने समुद्र का अपने अग्निबाण से अपमान किया था) लेना चाहता था, परंतु परमात्मा कबीर जी ने काल को वचन दिया था कि पुरी में मंदिर को टूटने से बचाऊँगा, तभी से यह मंदिर आज तक विद्यमान है।
जानिए जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बाते
- जगन्नाथ पुरी का यह मंदिर अपने कमाल के स्थापत्यकला के कारण दुनियाभर में मशहूर है। इस मंदिर से जुडी कई विचित्र बाते हैं जो अन्य किसी भी मंदिरों में नही देखने को मिलेगी। इस भव्य मंदिर को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
- मंदिर के ऊपर बंधी पताकाएं हमेशा विपरीत दिशा में ही लहराती हैं।
- पुरी में किसी भी स्थान पर खड़े होकर आप मंदिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देख सकते हो। इसके अलावा इस चक्र की यह खासियत है,कि यह किसी भी दिशा से देखने पर सदैव सीधा ही दिखाई देता है।
- मंदिर के ऊपर किसी भी पक्षी और जहाज को उडता नहीं दिख सकता है।
- गुबंद इस प्रकार बनाया गया है कि दिन होने के बावजूद इसकी छाया दिखाई नहीं देती।
- सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है।
- इस मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। जिसका उपयोग प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है। प्रसाद एक साथ 7 बड़े मिटटी के बर्तनों एक के ऊपर एक रखकर बनाया जाता है।
- ईंधन के रूप में यहाँ लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है।
- मंदिर में सिंहद्वार से प्रवेश करते ही सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। इसे शाम के समय और साफ़ तरीके से सुना जा सकता है।