Mahanavami 2021: शारदीय नवरात्रि समाप्त हो रहे रहे हैं। इस बार 14 अक्टूबर को नवरात्रि का आखिरी दिन है। इस दिन कन्या पूजन कर उन्हें खाना खिलाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। महानमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक का समापन हो जाता है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। अनहोनी से भी सुरक्षा मिलती है।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें। उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो।
मां सिद्धिदात्री की कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन देवी दुर्गा ने असुरों के राजा महिषासुर का वध करके देवी देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। उन्हें महिषासुरमर्दिनी या महिषासुर के संहारक के रूप में भी जाना जाता है।
महानवमी व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
इस बार नवरात्रि में दो तिथियां एक साथ पड़ने से नवरात्रि 8 दिन की ही मानी गई। हालांकि नवमी की तिथि से 13 अक्टूबर 2021 से शुरू होकर 14 अक्टूबर गुरुवार शाम 6.52 बजे तक मानी गई है।
नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए प्रातः काल स्नान आदि करके साफ कपड़ा पहनें. उसके बाद कलश स्थापना के स्थान पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें गुलाबी फूल चढ़ाए। उसके बाद धूप, दीप, अगरबत्ती जलाकर उनकी पूजा करें। अब मां सिद्धिदात्री के बीज मंत्रों का जाप करें। उसके बाद आरती कर पूजा समाप्त करें।
Mahanavami 2021:मां सिद्धिदात्री के मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी