नई दिल्ली: Navratri 4th Day: नवरात्रि के चौथे दिन माँ दुर्गा की पूजा देवी ‘कुष्मांडा’ के रूप में की जाती है। माँ कुष्मांडा के स्वरूप की बात करें तो उनकी आठ भुजाएँ हैं। इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं। उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और इसके साथ जप माला भी है। देवी की सवारी सिंह है। ये अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं। ज्योतिष में मां कुष्माण्डा का संबंध बुध ग्रह से है।
Navratri 4th Day: कैसे पड़ा माँ कुष्मांडा का नाम?
माँ कुष्मांडा नवदुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। अपनी मंद, हल्की मुस्कान के द्वारा अपने उदर से ‘अण्ड’ यानी ‘ब्रह्मांड’ की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें कुष्मांडा कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब दुनिया नहीं थी, तब उन्होंने ही अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए उन्हें सृष्टि की आदिशक्ति भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा में माँ कुष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। बता दें कि माँ कुष्मांडा को कुष्मांड यानी कुम्हड़ के विशेष रूप से प्रेम है।
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माँ कुष्मांडा की पूजा का महत्व
देवी कुष्मांडा की पूजा से भय का नाश होता है। जीवन में सभी तरह के भय से मुक्त होकर सुख से जीवन बीताने के लिए ही देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। इसके अलावा, देवी कुष्मांडा की पूजा से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। इनकी पूजा से हर तरह के रोग, शोक और दोष दूर हो जाते हैं। इनकी उपासना से भक्तों को सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। शांत और संयम भाव से माता कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए।
Navratri 4th Day: ऐसे करें माँ कुष्मांडा की पूजा
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएँ। इसके बाद मंदिर या पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें। फिर माँ कूष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सुहाग की सामग्री अर्पित करें। अब माँ कूष्मांडा की मंत्रों सहित विधिवत पूजा करें। पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें। फिर उन्हें प्रसाद का भोग लगाएँ जिसे दूसरों में भी बाँटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
Navratri 4th Day: स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Navratri 4th Day: माँ कुष्मांडा का बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
माँ कुष्मांडा को क्या लगाएँ भोग?
नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की अलग-अलग तरह से पूजा की जाती है, और माता के हर रूप को अलग-अलग तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है। माता कुष्मांडा को हलवे का भोग लगाया जाता है। माँ कुष्मांडा को इसका भोग लगाने से लोग निरोग होते हैं और आयु व यश में बढ़ोतरी होती है। इस दिन माता को मालपुए का भोग चढ़ाना चाहिए। इससे बुद्धि का विकास होता है।