जनतंत्र डेस्क: Navratri: मां की अराधना के पावन पर्व नवरात्र पर धूमधाम से मां दुर्गा की पूजा की जा रही है। नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। 13 अक्टूबर को नवरात्रि का आठवां दिन है और इस दिन देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप ‘महागौरी’ की पूजा की जाएगी। जैसा कि नाम से ही प्रकट है महागौरी का वर्ण गौरा है। इनकी तुलना शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है।
मां का स्वरूप बेहद शांत मुद्रा में है। इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है और नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बाँये हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।
Navratri: महागौरी की कथा
महागौरी देवी को गौर वर्ण एक कठोर तप के कारण मिला है। शास्त्रों के अनुसार, देवी ने पति रूप में भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की। जिसके कारण इनका शरीर काला पड़ गया। लेकिन भगवान शिव इनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। इस तरह देवी का रूप गौर वर्ण का हो गया। जिसके बाद ये महागौरी कहलाईं। महागौरी की पूजा से भक्तों के कल्मष और पाप धुल जाते हैं। मान्यता है इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। देवी महागौरी को दांपत्य प्रेम की देवी कहा जाता है।
महागौरी पूजा विधि और भोग
कहा जाता है मां गौरी को पीले फूल अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए पूजा के दौरा मां को पीले फूल अर्पित करें। वहीं, पूजा के दौरान पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करना भी शुभ माना जाता है।
माता महागौरी की पूजा के लिए चौकी पर उनकी प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल से शुद्धिकरण करना चाहिए। अब चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। महागौरी पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें।
मंत्र-
ओम महागौरिये: नम:।
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददो।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।