नई दिल्लीः Navratri: नवरात्र के 9 दिनों में मां दूर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो चुके हैं। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। शास्त्रों में मां ब्रह्मचारिणी को मां दुर्गा का विशेष स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है और शत्रुओं को पराजित कर उन पर विजय प्रदान करती हैं। नवरात्रि में दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी दुख और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
ब्रह्मचारिणी देवी से जुड़ी कथा
कहा जाता है कि अपने पिछले जन्म में देवी ने हिमालय में एक बेटी के रूप में जन्म लिया और भगवान शंकर को अपने पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की। इसीलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। पौराणिक कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। इसके बाद मां ने कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप को सहन करती रहीं।
मां टूटे हुए बेल पत्र खाकर भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। भोले नाथ प्रसन्न नहीं हुए तो उन्होने सूखे बेल पत्र खाना भी छोड़ दिया और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा भी पड़ गया। मां ब्रह्मचारणी कठिन तपस्या के कारण बहुत कमजोर हो गई। इस तपस्या को देख सभी देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने सरहाना की और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया।
मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में नामजप की माला और उनके बाएं हाथ में कमंडल रहता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाले भक्त तेज और ऐश्वर्य के धनी होते हैं। मां को ज्ञान की देवी भी कहा जाता है। देवी ब्रह्मचारिणी भक्तों को नैतिकता और संयम की सीख भी देती हैं।
नवरात्र के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
सुबह स्नान के बाद मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, घृत, मधु और शक्कर से स्नान कराएं। फिर मां ब्रह्मचारिणी को अक्षत, फूल, रोली, चंदन अर्पित करें। मां ब्रह्मचारिणी को पान, सुपारी, लौंग भी चढ़ाएं. इसके बाद मंत्रों का उच्चारण करें. हवनकुंड में हवन करें और मंत्र का जाप करें।
मंत्र- ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नम:.
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