जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: वट सावित्री व्रत हर साल कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखने की परंपरा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। ये व्रत इस साल सोमवार, 3 जून को रखा जाएगा। ऐसी मान्यताएं हैं कि इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। जानिए इसके पीछे की कथा।
सावित्री ने राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को वर के रूप में चुना। राजा द्युमत्सेन का राज-पाठ छिन चुका था और वह वन में रहने लगे थे। नारद की भविष्यवाणी ने सभी को हैरान कर दिया। उन्होंने कहा कि सत्यवान शादी के 12 वर्ष बाद ही मर जाएगा। लेकिन सावित्री ने दूसरा वर चुनने से इनकार कर दिया।
आखिरकार सावित्री का सत्यवान से विवाह हो गया और वह अपने पति और सास-ससुर के साथ रहने वन चली गईं। एक दिन सत्यवान जब जंगल में लकड़ी काट रहा था, तभी उसकी मृत्यु हो गई और यमराज उसके प्राण लेकर जाने लगे।
सत्यवान के लिए सावित्री यमराज के पीछे आ गई। यमराज के लाख समझाने पर भी सावित्री मुड़कर वापस नहीं गईं। उनकी ये निष्ठा देखकर यमराज प्रसन्न हो गए और उन्होंने सावित्री से तीन वरदान मांगने को कहा। तब सावित्री ने सास-ससुर के लिए आंखें, खोया हुआ राज-पाठ और सौ पुत्रों का वरदान मांगा। यमराज ने सभी मांगें मानकर सावित्री को वरदान दे दिया।
यमराज फिरसे सत्यवान के प्राण लेकर चलने लगे तो सावित्री फिर उनके पीछे आने लगीं। इस बार यमराज नाराज हो गए। तब सावित्री ने कहा, ‘आपने मुझे 100 पुत्रों का वरदान दिया है और मेरे पति के प्राण आप लेकर जा रहे हैं। बिना पति के यह वरदान भला कैसे सफल होगा।’ सावित्री की इस चतुराई से यमराज प्रसन्न हो उठे। उन्होंने तुरंत सत्यवान के प्राण मुक्त कर दिए।