Radha Yadav : आसान नहीं था झुग्गी से क्रिकेटर तक का सफर
महिला विश्वकप में भारत सेमिफाइनल में पहुंच चुका है। इसमें अहम योगदान निभाने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लेग स्पिनर राधा यादव (Radha Yadav) हैं। राधा ने लीग के अंतिम मैच में श्रीलंका के खिलाफ 4 विकेट चटकाकर भारत को ग्रुप ए में पहले पायदान पर काबिज करने में अहम भूमिका निभाई। इसके लिए राधा को प्लेयर ऑफ द मैच भी चुना गया।
- मुंबई के झुग्गियों में रहकर खेला क्रिकेट
- एक मामुली दुकानदार की बेटी है राधा
- अब लहरा रही है परिवार औऱ देश का परचम
इस महिला क्रिकेटर की यहां तक पहुंचने की कहानी इतनी आसान नहीं है। राधा यादव (Radha Yadav) मुल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के अजोशी गांव की रहने वाली हैं। गांव में पारंभिक पढ़ाई करने के बाद राधा मुंबई आ गई। मुंबई में राधा के पिता डेयरी उद्योग से जुड़े हुए हैं। साथ ही वे एक छोटी सी दुकान भी चलाते हैं। राधा यादव अपने पिता के साथ रहकर क्रिकेट की ट्रेनिंग ली। उनकी क्रिकेट के प्रति लगन औऱ जुनून का परिणाम रहा कि 2018 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए चुनी गईं।
राधा ने इस सफर के लिए बहुत संघर्ष किया है। पहले वह मोहल्ले में लड़कों के साथ मिलकर क्रिकेट खेलती थी। एक लड़की को लड़के की झुंड में खेलते देख आस पास के लोग ताना भी मारते थे मगर राधा ने अपना खेल जारी रखा। उनके इस संघर्ष में उनके पिता ने पूरा साथ दिया। लोगों के ताने सुनकर भी अपनी बेटी को आगे खेलने के लिए प्रेरित किया। एक छोटी सी दुकान औऱ उपर से म्यूनिसिपल कार्पोरेशन का अतिक्रमण के तौर पर दुकान हटाने का भी खतरा बना रहता था। ऐसी परिस्थिति में राधा के पास बैट खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे, तब राधा लकड़ी का बैट बनाकर अभ्यास करती थी।
घरेलू क्रिकेट में सेलेक्शन के बाद राधा की आर्थिक स्थिती कुछ हद तक सुधरी,तब उसे 10 से 15 हजार रुपये महीने के मिलते थे। अब राधा की कमाई बीसीसीआई के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के बाद 30 लाख के आस पास है। राधा ने अपने पिता के लिए दुकान खरीदी है, औऱ जल्द ही अपने परिवार के लिए एक घर खरीदने वाली हैं।