जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: आपने नेपोटिज्म के बारे में तो सुना ही होगा। जी हां! सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नेपोटिज्म को काफी उछाला गया था। लेकिन सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि क्रिकेट जगत में भी नेपोटिज्म की बात चलती है। नेपोटिज्म होता क्या है? जब कोई एक्टर या क्रिकेटर किसी प्रतिभाशाली कैंडिडेट की जगह किसी स्टार क्रिकेटर या एक्टर के बच्चे को सिलेक्ट कर लेता है, तो इसे नेपोटिज्म कहा जाता है।
हालांकि, ये नेपोटिज्म शब्द बॉलीवुड के मुकाबले क्रिकेट में कम ही देखा जाता है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar)। जी हां, सचिन का बेटा भी क्रिकेट खिलाड़ी है और अब तक कई टीमों के लिए खेल चुका है। अर्जुन 22 साल के हो चुके हैं और कई मैचों में शानदार प्रदर्शन दे चुके हैं।
शो के दौरान जब सचिन से पूछा गया कि वो इस साल अुर्जन को खेलते हुए देखना चाहते हैं, तो इस पर सचिन ने जवाब दिया कि वो सिलेक्शन के काम में दखल नहीं देते हैं। आप समझ सकते हैं कि सचित इतनी बड़ी शख्सियत हैं कि बड़ी आसानी से किसी भी टीम में अपने बेटे का सिलेक्शन करवा सकते हैं, लेकिन वो चाहते हैं कि टीम सिलेक्शन की प्रक्रिया में ट्रांस्पेरेंसी रहे और उनका बेटा अपनी मेहनत और अपने टैलेंट से आगे बढ़े।