Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने आज 5 अगस्त सोमवार को MCD से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम में 10 ‘एल्डरमेन’ को नामित करने के एलजी के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को एलजी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। दिल्ली सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने पेश की गई दलीलों को खारिज कर दिया गया है। दिल्ली सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि ‘उपराज्यपाल एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने के संबंध में मंत्री परिषद की सलाह लेने के लिए बाध्य हैं’। सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी द्वारा एमसीडी में उपराज्यपाल द्वारा नामित एल्डरमैन की नियुक्तियों को चुनौती पर सुनवाई कर रही थी।
फैसले को पहले ही रख लिया था सुरक्षित
बता दें कि इससेपहले 17 मई 2024 को केस की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की तीन जजों की बेंच ने की थी। उन्होंने इस फैसले को सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने मई 2024 में सुनवाई के दौरान कहा था कि ‘MCD में एल्डरमैन नामित करने का अधिकार देने का मतलब है कि निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं’। मुख्य न्यायधीश डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की तीन जजों वाली बेंच ने दिल्ली सरकार की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए यह बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने AAP से किए सवाल
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा था कि ‘क्या MCD में 12 लोगों का नामांकन करना केंद्र के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है? उपराज्यपाल को यह अधिकार देने का मतलब होगाकि वह लोकतांत्रिक तरीके से नगर समितियों को अस्थिर कर सकते हैं। क्योंकि एल्डरमैन के पास मतदान के अधिकार भी होंगे’। वहीं इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचित सरकार के परामर्श के बिना दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमैन को नामित करने के लिए एलजी के कानून के तहत अधिकार के बारे में सवाल किया था।
#WATCH सुप्रीम कोर्ट द्वारा Alderman appointed in MCD करने की दिल्ली उपराज्यपाल की शक्ति को बरकरार रखने पर AAP सांसद संजय सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा झटका है …”@SanjayAzadSln #Aldermanappointed #MCD #SupremeCourt #Jantantratv pic.twitter.com/GVY5pv0e1k
— Jantantra Tv (@JantantraTv) August 5, 2024
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि ‘मुझे लगताहै कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा है’।