नई दिल्ली : पिछले 2 महीने से कृषि कानुन के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे थे। लेकिन दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड में हिंसक प्रदर्शन के बाद किसान संगठनों में बड़ी फूट हो गई है। बुधवार को गाजीपुर बॉर्डर पर तीनों कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे वीएम सिंह (जो राष्ट्रीय किसान आंदोलन संगठन के मुखिया है) ने प्रदर्शन खत्म करने का एलान किया है। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली-नोएडा स्थित चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भानू गुट ने भी धरना खत्म कर निर्णय लिया है। दोनों ही संगठनों ने लाल किले पर दूसरे रंग का ध्वज फहराए जाने के विरोध में आंदोलन को वापस लिया है।

किसान नेता Rakesh Tikait पर गाजीपुर थाने में दर्ज हुआ केस। FIR against Farmers
गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता वीएम सिंह ने कहा कि बुधवार को आज उनका संगठन गाजीपुर बॉर्डर से हट जाएंगे।आज से राष्ट्रीय किसान आंदोलन संगठन आंदोलन का हिस्सा नही होगा। कल की हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि जो भी इसके जिम्मेदार हैं उन सभी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, खरखौदा के ट्रैक्टर परेड की आड़ में लालकिले पर तिरंगे की जगह अन्य झंडा फहराए जाने के बाद दहिया खाप के प्रधान सुरेंद्र दहिया ने जल्द ही सर्वखाप की पंचायत बुलाकर किसान यूनियनों को दिए गए नैतिक समर्थन पर विचार करने की बात कही है।

जहां से निकलेगी ट्रेक्टर परेड वहां के रहने वाले हैं दहशत में
इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को हुई हिंसा को लेकर कहा है कि किसानों ने हिंसा शुरू करने वाले 15 लोगों को सौंप दिया। उनके पास सरकार के पहचान पत्र हैं। अब आप यह समझ सकते हैं कि सरकार में कौन है। यह शांतिपूर्ण आंदोलन को विफल करने के लिए ठोस साजिश थी। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को गाजीपुर सीमा पर पुलिस ने उस मार्ग को रोक दिया जो ट्रैक्टर रैली के लिए नियोजित मार्ग था। ऐसे में जब किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली तो पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिससे हिंसा भड़की।