नई दिल्ली : एक्टिंग से पॉलिटिक्स में आयी उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई। वहीं अब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया है। कांग्रेस से इस्तीफ़ा देते हुए उन्होंने पार्टी में गुटबाज़ी का आरो लगाया है और कहा कि पार्टी में उनकी बातों को अहमियत नहीं दी जा रही थी। बता दें कि महराष्ट्र में कुछ ही महीने बाद महराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में उर्मिला का कांग्रेस से इस्तीफ़ा देना पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उर्मिला मातोंडकर कांग्रेस में शामिल हुई थी, इसके बाद पार्टी ने उन्हें उत्तरी मुंबई सीट से चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव और इसके बाद अपने बयानों को लेकर उर्मिला विवादों में भी रही। वहीं अब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। हालाँकि अभी ये साफ़ नहीं है कि वो किसी और पार्टी में शामिल होंगी या फिर राजनीति को अलविदा कह देंगी ?
अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए उर्मिला ने कहा कि मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। पहली बार मैंने इस्तीफे के बारे में तब सोचा जब मेरे कई प्रयासों के बाद 16 मई को दिए गए पत्रों पर तात्कालीन मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद, मेरे निराकरण के लिए, विशेषाधिकार प्राप्त और गोपनीय संचार वाले उक्त पत्र को आसानी से मीडिया में लीक कर दिया गया, जो मेरे अनुसार एक बड़ा विश्वासघात का कार्य था।
उर्मिला ने कहा कि कहने की जरूरत नहीं है कि पार्टी के किसी भी व्यक्ति ने मेरे बार-बार के विरोध के बावजूद माफी नहीं मांगी या मेरे प्रति चिंतित दिखे। प्रेस नोट में उर्मिला मातोंडकर ने बताया कि कहने की जरूरत नहीं है मेरे बार-बार विरोध जताने के बावजूद पार्टी के किसी सदस्य को भी कोई चिंता या अफसोस नहीं थी। हालांकि उत्तरी मुंबई में कांग्रेस के घटिया प्रदर्शन के लिए विशेष रूप से मेरे पत्र में नामित किए गए कुछ व्यक्तियों को उनके कृत्यों और चूक के लिए जिम्मेदार ठहराते के बजाय नए पदों के रूप पुरस्कार दिया गया था।