नई दिल्ली: AIMIM: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मोर्चा सजाने के लिए उतरे आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की मुस्लिम वोटो पर नजर है। बिहार में जीत दर्ज करने के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हैं। तेलंगाना और महाराष्ट्र के बाद पार्टी ने अब बिहार में अपना खाता खोला है। पश्चिम के साथ ही समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाले पूर्वांचल में ओवैसी की आहट से सूबे के सियासी समीकरण अंगड़ाई लेते नजर आ रहे हैं। दरअसल असदुद्दीन ओवैसी ने योगी आदित्यनाथ को चैलेंज देते हुए कहा था कि इस बार वो उन्हें दोबारा सीएम बनने नहीं देंगे। योगी ने इसी चुनौती का जवाब देते हुए कह दिया कि उन्हें ओवैसी की चुनौती स्वीकार है।
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AIMIM: मतों के बिखराव की संभावना
भाजपा के खिलाफ विपक्षी दल अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। सपा यादव-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत रखते हुए नया वोट समेटने के लिए प्रयासरत हैं। बसपा दलित के साथ मुस्लिम को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुटी हैं तो कांग्रेस की नजर भी अल्पसंख्यक मतों में हिस्सेदारी पर है। चर्चा है कि 19 फीसद मुस्लिम मत यदि एकतरफा किसी एक दल के पाले में गया तो कई सीटों पर सत्ताधारी भाजपा के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है। इसी बीच ओवैसी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए ताल ठोंक कर मुस्लिम मतों के बिखराव की संभावना प्रबल कर दी है।
(AIMIM) विपक्षी महागठबंधन का खेल कई सीटों पर बिगाड़ा
AIMIM ने किस्मत तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भी आजमाई थी लेकिन अब परिस्थितियां कुछ बदली हुई हैं। 2017 में 38 सीटों पर लड़ी AIMIM के प्रत्याशियों की 37 सीटों पर जमानत जब्त हुई। 13 सीटों पर वह चौथे स्थान पर थी। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के मुकाबले खड़े हुए विपक्षी महागठबंधन का खेल कई सीटों पर बिगाड़ते हुए पांच सीटें जीतने में ओवैसी कामयाब रहे। बीजेपी की उत्तर प्रदेश में चुनावी रणनीति के कई अहम हिस्से हैं जिनमें एक है राज्य के 19 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं को कन्फ्यूज रखना। बीजेपी इस लिहाज से AIMIM अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी को बड़ा नेता बताने में लगी है।
जनभागीदारी मंच के साथ छोटे दल
यूपी में वह सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर द्वारा बनाए गए जनभागीदारी मंच के साथ छोटे दलों को साथ जोड़ने चले हैं। इस गठबंधन का भविष्य अभी संशय में है। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार सौ सीटों पर लड़ने का मन बनाया है। पिछली बार सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर फोकस करने वाली AIMIM ने अबकी बार पूर्वांचल की ओर भी कदम बढ़ा दिए हैं। सभी जगह अपने कार्यालय खोल रहे हैं।
ओवैसी की मीडिया में सुर्खियां
असदुद्दीन ओवैसी मीडिया को आकर्षित करने में हमेशा कामयाब रहते हैं। ओवैसी मीडिया में जितनी सुर्खियां बटोर रहे हैं वैसी हालत पिछले चुनाव में बिल्कुल नहीं थी। पिछले चुनाव में AIMIM के 38 में से 37 नेताओं का जमानत जब्त हो गया था। राज्य में पार्टी को महज 2.46 फीसदी मत मिले थे जबकि बीजेपी को 384 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बाद 41.57 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। दरअसल, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, मऊ, बलिया, संतकबीरनगर, चंदौली, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़ आदि ऐसी सीटें हैं जहां पिछली बार भाजपा के मुकाबले सपा मजबूत स्थिति में नजर आई। अब असदुद्दीन ओवैसी जितनी भी बढ़त लेंगे उसका सीधा असर मुख्य विपक्षी सपा पर पड़ सकता है।