नई दिल्ली: Aligarh: कहते हैं कि “मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे।” यह कहानी है उत्तरप्रदेश जिला अलीगढ़(Aligarh) गांव बिधा की गढ़ी की है। जहां कक्षा 8 की 13 वर्षीय छात्रा शिवानी ने पिछले 6 साल में अलीगढ़ जिले से लेकर आगरा जोन के साथ-साथ ब्लॉक स्तर पर 19 गोल्ड और 2 सिल्वर मैडल हासिल कर चुकी है। घर की दीवारों पर टंगे मैडल छात्रा के हुनर के साथ प्रतिभा और उसकी काबिलियत को दर्शाते है। शिवानी के घर की दीवार पर टंगे इन पदकों के बीच एक जगह खाली है। दीवार पर यह खाली जगह उसको हर रोज याद कर उस राष्ट्रीय पदक को लगने का संकल्प लिए है जो उसे आगे बढ़ने को हर पल उसको प्रेरित करता है।
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Aligarh: भूख केवल रोटी से नहीं मिटती
इस गांव की छोटी सी उम्र की 13 वर्षीय खिलाड़ी की भूख केवल रोटी से नहीं मिटती। उसको अपनी इस छोटी सी उम्र में कुछ बड़ा करने का जज्बा भी है, जो अपने अंदर छुपे इस जज्बे से कुछ कर गुजरने के साथ उसको बड़े पदक भी चाहिए। इन पदक को हासिल करने के लिए वो दिन रात ग्राउंड पर अपने जिस्म का पसीना बहाती है। शिवानी की आर्थिक स्थिति अच्छा नहीं होने के कारण खेतों में मां के साथ मजदूरी करने के साथ बहन और भाई में बड़ी होने के चलते एक जिम्मेदारी के साथ घर भी संभालना पड़ता है। खेलने के लिए वक्त और समय दोनो की जरुरत पड़ती है। लेकिन आंखों में एक उम्मीद होती है की वहां पहुंच कर खेलना है और अपने खेल का हुनर दिखाने के साथ कुछ लक्ष्य भी हासिल करना पड़ता है।
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गरीब लड़कियों को फ्री में खेल के गुर सिखाते है कोच
जट्टारी कस्बे में कब्बड्डी की एक छोटी एकेडमी चलाने वाले दलवीर सिंह बालियान शिवानी के कोच हैं। दलवीर सिंह कहते हैं कि इलाके में छिपी हुई उन प्रतिभाओं को निखारने का काम इनके द्वारा लगातार पिछले चार साल से किया जा रहा है। वह कई खिलाड़ियों को गोद लेकर उनको खेल के हुनर सिखाते हैं। इस साल भी वे 16 से 17 बेटियों को गोद लिया है। जो बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। जिसमें एक बच्ची ऐसी भी है, जिसके पिता मजदूरी करते हैं। दो बेटियां ऐसी है जिनके सिर पर बाप का साया नही है और ना ही उनके पास कोई जमीन है।
बहुत ही मध्यम वर्गीय परिवार से है लेकिन कबड्डी में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी है। कबड्डी में इन दोनो राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को कोच के द्वारा इनकी मां से दोनों बेटियों को गोद लिए हुए हैं। उनकी पढ़ाई से लेकर कोई भी खर्चा खुद कोच स्वयं उठाते हैं।