जनतंत्र डेस्क, पटना: इसी साल फरवरी में बिहार विधानसभा में बजट पेश हुआ था। बजट कुल दो लाख 18 हजार 302 करोड़ 70 लाख रुपये का था जिसका 16.5% हिस्सा शिक्षा विभाग को दिया गया। बावजूद इसके आए दिन बिहार शिक्षा के बदहाली की कोई ना कोई तस्वीर हमारे सामने आ ही जाती हैं। ताजा तस्वीरें आयी है बिहार के कटिहार जिले की जहां एक क्लासरुम में तीन टीचर नजर आ रहे और उनमें से दो एक ही ब्लैकबोर्ड पर हिंदी और ऊर्दू पढ़ाते दिख रहे हैं।
#WATCH |Bihar: Hindi & Urdu being taught on same blackboard in one classroom of a school in Katihar
Urdu Primary School was shifted to our school by Education Dept in 2017 Teachers teach both language one classroom simultaneously@EduMinOfIndia @PMOIndia
pic.twitter.com/t4CsvoeBxL— Mushtaq Ansari 🇮🇳#PotholeWarriors (@MushtaqAnsari80) May 17, 2022
सोशल मीडिया पर कटिहार जिले का ये वीडियो खूब वायरल हो रहा हैं। वीडियो आदर्श मिडिल स्कूल का है। वीडियो में एक ही ब्लैकबोर्ड पर एक तरफ हिंदी पढ़ाया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ ऊर्दू। क्लासरुम में एक अन्य और शिक्षिका नजर आ रही है, जो बच्चों को शांत कराते दिख रही है।
एक बोर्ड पर दो सब्जेक्ट, पांच क्लासेज
आपको बता दें कि स्कूल का ये हाल साल 2017 से ही है और सिर्फ इतना ही नहीं एक ही क्लासरुम में 1-5 कक्षा तक के छात्रों की पढाई साथ में चलती है। स्कूल में ब्लैकबोर्ड से लेकर शिक्षक तक की कमी है।
वीडियो में दिख रही शिक्षिका ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि एजुकेशन डिपार्टमेंट ने साल 2017 में उर्दू प्राइमरी स्कूल को हमारे स्कूल में शिफ्ट कर दिया था। अब टीचर्स हिंदी और उर्दू एक ही क्लास में साथ पढ़ाते हैं। उन्होंने आगे बताया कि ब्लैकबोर्ड का आधा हिस्सा उर्दू टीचर को दिया जाता है और आधा हिंदी को मिलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे स्कूल में क्लासेज कम हैं। ऐसे में सही समय पर क्लास लगाने के लिए एक ही क्लास में दो सब्जेक्ट एक साथ पढ़ाए जाते हैं।
हाल ही में बिहार से एक और वीडियो खूब वायरल हो रहा था जिसमें एक छोटा बच्चा सीएम नीतीश कुमार से शिक्षा व्यवस्था की शिकायत करते नजर आ रहा था। बिहार शिक्षा बदहाली की तस्वीर हर रोज देखने को मिल जाती है। बिहार में डबल इंजन सरकार हर दिन शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के दावे करता है। लेकिन इस तरह की अजब-गजब वीडियो देखने के बाद सच्चाई लोगों के सामने आ ही जाती है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या इन तस्वीरो को देखकर भी सरकार नजरअंदाज कर रही?