नई दिल्ली: बिहार में चमकी बुखार के कारण 150 से भी अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को चमकी बुखार से हो रही मौतों का मामला संसद के दोनों सदनों तक गूंज रहा है। अधीर रंजन चौधरी (कांग्रेस सासंद) ने लोकसभा में बच्चों की मौत का मुद्दा उठाया है। मनोज झा राजद सांसद ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की।
पीडित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग
केंद्र सरकार से राज्यसभा में सदस्यों ने पीडित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की है। स्मृति इरानी ने लोकसभा में इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि वह भी एक मां हैं इसलिए उन माँ का दर्द काफी बेहतर समझ सकती है जिन्होंने अपने बच्चे खोए है। वहीं अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अध्यक्ष जी मैं आपके माध्यम से जानना चाहता हूं कि बच्चों की लगातार चमकी बुखार से हो रही मौतों के मामले में सरकार किस तरह के सदम उठा रही है। आयुष्मान भारत योजना का लाभ बच्चों तक पहुंच रहा है या नहीं। आखिर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बिहार में हो रही मौतों पर चुप क्यों हैं? उच्च सदन में भी सदस्यों ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया।
चमकी बुखार पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने शोक जताते हुए अपने शब्द रखते हुए कहा कि सदन इस बीमारी से जान गंवाने वाले मासूमों को श्रद्धांजलि देता है। कुछ क्षणों का मौन रखकर अपने स्थानों पर सदस्यों ने जान गंवाने वाले बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इलाज के लिए जरूरी सुविधाओं की मांग
दूसरी ओर विनय विश्वम भाजपा ने कहां की गरीब बच्चों की हत्या कहलाए जाने वाले हादसे को सरकार एक दुर्घटना बता रही है। विनय विश्वम के अनुसार बीमारी से 150 बच्चों की मौत हो चुकी है अस्पतालों में न तो कोई दवा है और न ही इस रोग के इलाज और न ही इलाज के लिए जरूरी सुविधाएं हैं। विनय विश्वम ने सरकार से आग्रह किया है की सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाऐ और प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दे। विपक्ष सहित कांग्रेस ने इस विषय पर चर्चा की मांग करी लेकिन आसन ने इसकी अनुमति नहीं दी।
राजीव प्रताप भाजपा सांसद के अनुसार इस घटना के लिए केवल लीची फल को ही दोषी समझना ठीक नहीं है। साथ ही लोगों में डर के लिए लीची को लेकर चल रहीं। तमाम खबरे जिम्मेदार है। न तो लोग लिची खा रहै है और न ही इसका जूस पी रहे हैं। बंदरगाहों पर पड़ी हजारों टन लीची के कारण लीची उत्पादकों को भारी नुकसान भी हो रहा है।