नई दिल्लीः बिहार के बक्सर का रेवटियां गांव एक ऐसा इकलौता गांव बन गया है जहां कोरोना की पहली लहर हो या दूसरी रेवटियां गांव के ग्रामीणों को संक्रमण छू भी नहीं सका। दरअसल, इस गांव के लोग सतर्कता और संयम रूपी हथियार से लैस हैं और इसी वजह से कोरोना वायरस इस गांव से थर-थर कांपता है।इसकी तारीफ वहां के चिकित्सक भी करते हैं और गांव को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
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बिहार का कोरोना मुक्त गांव
दरअसल हैरान बात ये है की जिले में कोरोना संक्रमण के 13 महीने गुजरने के बाद भी गांव में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया. इसकी खास वजह ये है, की यहां के लोग न तो बेवजह कहीं जाते हैं और ना ही बाहर से आने वाले लोगों को कोई तरजीह देते हैं। गांव के लोगों ने बैठक कर खुद से कड़े नियम बनाए। लगभग दो हजार की आबादी वाले इस गांव से बड़ी संख्या में लोग दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए गए हुए हैं।

पूरा गांव करता है नियमों का पालन
उनके गांव वापस लौटने उन्हें गांव के बाहर स्कूल में कम से कम तीन दिन क्वारंटाइन किया जाता है। लक्षण नजर आने पर उनकी जांच कराई जाती है। पिछले साल बाहर से आए गांव का एक प्रवासी संक्रमित भी था। गांव के नियम का पालन करने के कारण उसके गांव में घुसने से पहले ही इसका पता चल गया और उसे बाहर ही इलाज के लिए अनुमंडल स्तर पर बने आइसोलेशन केंद्र में भेज दिया गया।
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गांव की बैरिकेडिंग
बता दें की पिछले साल लॉकडाउन के दौरान गॉंवालों ने काफी एहतियात बरती और खुद ही गांव की बैरिकेडिंग कर दी। इसका नतीजा यह रहा कि पिछले साल इस गांव में एक भी कोरोना के मरीज नहीं मिला। इस बार भी यहां लोग नियमों का पालन कर रहे हैं। ग्रामीण गणेश कुमार, सोनू कुमार, मोनू कुमार और पीयूष कुमार ने बतायाा कि इस गांव की आबादी तकरीबन दो हजार से ऊपर है। संक्रमण की लहर कमजोर पडऩे के बाद भी यहां के लोगों ने बेवजह घर से बाहर नहींं निकलने के नियम का पालन किया था। इस गांव में आने वाले लोगों पर भी ग्रामीणों की पैनी नजर रहती है।
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