जनतंत्र डेस्क, दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला न्यायालय की विशेष कोर्ट दुष्कर्म के दोषी पर अहम टिप्पणी की है। जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। कोर्ट ने 7 साल की मासूम से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाते हुए कहा, ‘‘दोषी शख्स का अपराध आजीवन कारावास पाने से भी ज्यादा दंड देने के लायक है। उसे फांसी देकर जीवन से मुक्त न कर अपने कर्मों का पश्चाताप और घुट-घुटकर मरने दिया जाए।‘’
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दुर्ग स्पेशल कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के त्रिपाठी ने रेप केस में अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर आरोपी को मृत्युदंड दिया जाता है तो वह अपने कुकर्मों का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा और अपने मानव जीवन से मुक्ति पा जाएगा और इस मानव योनी से मुक्त भी हो जाएगा। इसके विपरित अगर आरोपी को बचे हुए समय तक आजीवन कारावास का दंड दिया जाता है तो वह अपने कुकर्मों का जीवनकाल तक सोच-सोच के घुटन में मानसिक रूप से मरेगा।‘’ कोर्ट ने आगे कहा, ‘‘चूंकि मृत्युदंड आरोपी की पश्चाताप की अवधारणा को समाप्त कर देता है ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि दोषियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए। वे जीवनभर पश्चाताप के पात्र हैं।‘’
7 साल की बच्ची से हैवानियत का मामला
ये मामला छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई का है। जब 30 जनवरी 2021 को भिलाई के वैशाली नगर थाना क्षेत्र में रहने वाला 22 वर्षीय रजत भट्टाचार्य ने 7 साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया। बच्ची से रेप के अलावा आरोपी ने उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य भी किया। बच्ची की मां का निधन हो चुका और पिता नौकरी के सिलसिले में सुबह 10 से रात 9 बजे तक बाहर रहते हैं। इसी का फायदा उठाते हुए आरोपी ने आरोपी घर में घुसा और बच्ची से दरिंदगी को अंजाम दिया। पीड़िता की एक छोटी बहन भी है।
बच्ची के पिता की तहरीर पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया। 23 मार्च 2022 को स्पेशल कोर्ट ने फैसला दिया। आरोपी को अर्थदंड के साथ आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी गई है। कोर्ट ने पीड़िता को साढ़े 6 लाख रुपये मुआवजा राशि देने का भी आदेश दिया। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि सख्त सजा के नियमों के बावजूद बच्चियों से रेप के मामले बढ़ रहे हैं।