नई दिल्ली: मन में चाह हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती। ऐसा ही कुछ ऋषिकेश की दीपा ने करके दिखाया है। दीपा जन्मजात आँखों से दिव्यांग है लेकिन उसने कभी हर नहीं मानी। कहते हैं कि अगर हौंसले बुलंद हो और कुछ करने की लगन हो तो मंजिलें आसान हो जाती हैं और सफलता मिल ही जाती है।
इस बात को सच करके दिखाया है प्रतीतनगर निवासी दीपा ने। दीपा बचपन से ही नेत्रहीन हैं और कई कठिनाइयों का सामना करने के बाद दीपा आज बैंक Bank में क्लर्क Clerk के पद पर नियुक्त हुई हैं।
नेत्रहीन होकर जीता मुकाम
आपको बता दें दीपा की पहली नियुक्ति उत्तर प्रदेश में नोएडा के सेक्टर 15 स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में हुई है। क्योंकि नेत्रहीन होने के बाद जो मुकाम दीपा ने हांसिल किया है उससे गांव के लोग खुद को भी गौरवान्वित महसूस कर रहे है। जिसके बाद क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों दीपा को उनके घर पर जाकर शुभकामनाएं दी।
दीपा की कहानी
दीपा ने बताया कि छह साल की उम्र में पढ़ाई के लिए वह अपनों से दूर चली गयी थी। दीपा ने बताया कि वह गरीब परिवार से हैं।उन्होंने ये भी बताया कि वह पांच बहनों में सबसे छोटी है और उनके एक भाई है जिसने इस मुकाम तक पहुंचने में मेरी बहुत मदद की। दीपा के पिता नत्थी प्रसाद नौटियाल व माता विमला गरीब परिवार से होने के कारण माता पिता दीपा को पढा़ने में असमर्थ थे।
दीपा ने बताया कि वह नेत्रहीन थीं लेकिन उनमें पढ़ाई की बहुत लालसा थी। जिसके चलते वह देहरादून अपने रिश्तेदारों के यहां चली गयी और वहां पढ़ाई की। विद्यालय प्रबंधन द्वारा दीपा की हर संभव मदद भी की गयी। दीपा ने दिल्ली में इग्नू से एमए किया और इसके साथ साथ उन्होने शॉटहैंड व कम्प्यूटर की ट्रेनिंग भी ली।
सेंट्रल बैंक में नियुक्त
दिसम्बर 2019 में दीपा ने नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड के स्टेट सेक्रेटरी पीताम्बर सिंह चैहान की मदद से बैंक में नौकरी Bank Job के लिए आवेदन किया। जिसके बाद दीपा का जनवरी 2021 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया Central Bank of India में क्लेरिकल पोस्ट के लिए सलेक्शन हो गया। दीपा की इस सफलता के पीछे उनकी खुद की लगन मेहनत और उनके माता पिता का आर्शीवाद है। आज नौकरी पाने के बाद वह बेहद खुश हैं।
नेत्रहीन होने के बावजूद बैंक में अपनी मेहनत से हासिल की नौकरी