नई दिल्ली : दिल्ली नगर निगम से जुड़े अस्पतालों में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को सैलरी न मिलने का मसला तूल पकड़ता जा रहा है जिसमें हिंदुराव अस्पताल भी शामिल है जहां कई दिनों से स्वास्थ्यकर्मी प्रदर्शन कर रहे हैं अब इस प्रदर्शन की आग राजनीतिक गलियारों तक पहुंच गई ।
कोरोना महामारी के दौर में उत्तरी दिल्ली का 980 बेड वाला हिंदू राव अस्पताल यहां के लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद वाला अस्पताल था क्योंकि यहां पर कोविड-19 के मरीज़ों का बेहतर इलाज हो रहा था इसके अलावा भी अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी यानी बाहरी मरीज़ों का इलाज होता था लेकिन पिछले हफ्ते से ये सारी सुविधाएं यहां ठप्प पड़ी हुईं हैं क्योंकि यहाँ के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं और इसकी वजह है यहां के लोगों को वेतन ना मिलना जो इन लोगों को पिछले 4 महीनों से नहीं मिला है ।

अस्पताल के हालात ऐसे हो गए हैं कि कोरोना पीड़ित सभी मरीज़ों को दिल्ली सरकार दूसरे अस्पतालों में स्थानांतरित करवा रही है हालांकि हड़ताल के बावजूद आईसीयू में भर्ती मरीज़ों का डॉक्टर पहले की तरह ही ख़्याल रख रहे हैं लेकिन आंदोलनकारी डॉक्टरों ने खुद को कोविड-19 के उपचार की सेवाओं से बिलकुल अलग कर लिया है ।
दरअसल हिंदू राव अस्पताल उत्तर दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आता है मगर पेंच ऐसे फंसा कि नगर निगम दिल्ली सरकार पर वेतन के पैसे ना मुहैया कराने का आरोप लगा रहा है यहां बताना ज़रूरी है कि नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत है जानकार बताते हैं कि हिंदू राव अस्पताल का मुद्दा नगर निगम और दिल्ली की सरकार की मूंछ की लड़ाई बन गया है जिसमे अस्पताल के डॉक्टर पिसने को मजबूर हो गए हैं । दिल्ली का पहला और सबसे बड़ा कोविड हॉस्पिटल जहां कई स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की मदद में लगे हुए हैं लेकिन इन्हें अभी तक इनका मेहनताना नहीं मिला है ऐसे में इन स्वास्थ्यकर्मियों का यूं सड़कों पर उतरना लाज़मी भी है मगर अब सवाल ये उठता है कि आखिर कब सरकार इन डॉक्टर्स की मदद के लिए आगे आती है ।