जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ की ओर से दिल्ली सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इस दौरान दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रही भानू प्रिया ने कहा कि हम लोग बहुत खुश हैं कि हम ऐसे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं जहां पर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में इतना सुधार हो सका है। यहां गेस्ट टीचर्स की अहमियत है। स्थिति दूसरे राज्यों से काफी बेहतर है।
भानू प्रिया ने कहा, एक समय था जब हम लोगों को स्कूलों में रहने के लिए और नौकरी को बचाने के लिए, हर साल एक फॉर्म भरना होता था। 2010 से लेकर 2015 तक यही स्थिति थी। हम लोग हर साल फॉर्म भरते थे और मेरिट बनती थी। इस साल हमने पढ़ाया तो दूसरे साल हमारा नाम मेरिट में होगा या नहीं यह पता नहीं होता। यह प्रक्रिया इसी तरह चलती रहती थी। हमारे सिर पर तलवार लटकी रहती थी कि ना जाने कब नौकरी चली जाए और अगले साल मिलेगी कि नहीं मिलेगी। किसी तरह से महिला गेस्ट टीचर फिर भी एडजस्ट कर लेती हैं। लेकिन पुरुष टीचर्स के लिए और भी ज्यादा दिक्कत भरा था।
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अतिथि शिक्षक संघ की पदाधिकारी भानू प्रिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने गेस्ट टीचर की सैलरी को दोगुना कर 35 हजार तक किया। पहले अधिकतम सैलरी 14 से 16 हजार तक मिलती थी। केजरीवाल सरकार ने गेस्ट टीचर्स को परमानेंट करने के लिए 4 अक्टूबर 2017 को बिल विधानसभा में पास किया, फाइल उप राज्यपाल के पास पेंडिंग है। दिल्ली में जो पार्टियां आज प्रदर्शन कर रही हैं, जब उनकी सरकार थी तो उन्होंने गेस्ट टीचर के लिए कुछ नहीं किया। कम तनख्वाह देती थीं, गेस्ट टीचर को मेटरनिटी लीव नहीं मिलती थी, हर साल फॉर्म भरना पड़ता था। वह अपने गिरेबान में झांक कर देखें।
‘गेस्ट टीचर के नाम पर राजनीति’
दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ की पदाधिकारी अंजना राठी ने कहा कि हमने यह देखा है कि पिछले कुछ समय से धरने शुरू हो गए हैं। जिन्हें ऐसे साथी कर रहे जो कि गेस्ट टीचर भी नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि गेस्ट टीचर के नाम पर राजनीति होना शुरू हो गई है। दूसरे राज्यों से आकर राजनीति कर रहे हैं। पंजाब से नवजोत सिंह सिद्धू जैसे लोग आ रहे हैं, जिनके यहां पर गेस्ट टीचर आत्महत्या करने की कगार पर हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल जब पंजाब गए थे तो उस समय पंजाब के गेस्ट टीचरों ने प्रदर्शन किया था। गेस्ट टीचर वहां पर पानी की टंकी पर चढ़ गए थे और अपनी जान देने के लिए तैयार थे। क्योंकि जब रोजगार छीना जाता है तो इंसान कुछ ना कुछ करता है। ऐसे लोग यहां आकर दिल्ली में गेस्ट टीचर को गुमराह कर रहे हैं। दिल्ली के गेस्ट टीचर की तनख्वाह दूसरे राज्यों के गेस्ट टीचर के मुकाबले काफी ज्यादा है।