नई दिल्ली: ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बाहर 4 दिनों से चल रहा धरना गुरुवार की शाम किसानों ने खत्म कर दिया है। विशेष जांच दल (एसआइटी) के साथ हुई बैठक में अधिकतर मांगों में सहमति मिलने के बाद धरना स्थगित करने का फैसला लिया। किसानों ने कहा कि एक मुख्य मांग 10 फीसद भूखंड को लेकर शासन स्तर पर चर्चा होना है। इस बैठक में निकलने वाले निर्णय के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
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लिखित सहमति बनी है-
किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता मनवीर भाटी ने बताया कि बैठक में एसआइटी ने मुख्य मांग एसआइटी रिपोर्ट से किसानों के अधिकारों को प्रभावित करने वाले बिदुओं को वापस लेने पर लिखित सहमति हुई है। इसके अलावा मूल किसानों की आबादी के साथ छह फीसद प्लाट का लाभ जारी रहने, पूर्व में की गई बैक लीज मान्य रहने, एक आबादी को दो बार में छोड़े जाने पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी, एक सप्ताह में संशोधित रिपोर्ट शासन के समक्ष पेश कर स्वीकृत कराई जाने पर सहमति बनी। मुख्य मांग 10 फीसद भूखंड को लेकर सीईओ व जिलाधिकारी ने कहा कि ये मुद्दा शासन स्तर पर हल होगा।
Farmer Protest: संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है-
जनवरी में इसे शासन के समक्ष रखा जाएगा। 15 जनवरी को दिल्ली-मुंबई इंटीग्रेटेड कॉरिडोर (डीएमआइसी) के मुद्दे पर जिलाधिकारी द्वारा संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कराई जाएगी। सभी किसानों ने चर्चा करके निर्णय लिया कि उनकी मुख्य मांगों में से एक दस फीसद भूखंड को लेकर शासन स्तर पर निर्णय होने के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। किसान नेता पवन शर्मा ने कहा क्षेत्र के हजारों किसानों के संघर्ष ने अपने अधिकारों को बचाया है।
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प्राधिकरण स्तर पर जो भी समस्याएं हैं, उनके समाधान के लिए एकजुट और लामबंद होकर लड़ा जाएगा। किसान नेता प्रिंस त्यागी ने कहा कि संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। 10 फीसद भूखंड का हक लेकर रहेंगे। इस दौरान ओमवीर, राजेंद्र प्रधान, सूबेदार रमेश रावल, राजेंद्र प्रधान, कपिल गुर्जर, रवि प्रधान, सुनील फौजी, रामबीर प्रधान, भीम सिंह, अमोद भाटी आदि किसान मौजूद रहे।