नई दिल्ली: लॉकडाउन का एक साल पूरा हो गया। लॉकडाउन में दूर-दूर से अप्रवासी कामगार बिहार लौटे थे। बिहार की नीतीश सरकार ने इन कामगारों को रोके रखने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। युवाओं के साथ-साथ कामगारों को कौशल विकास पर खासा फोकस किया जा रहा है और रोजगार-स्वरोजगार के ठोस उपाये जा रहे हैं।
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20 लाख कामगारों को केंद्र में रख औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति तैयार
कोरोना काल में बाहर के राज्यों से लौटे करीब 20 लाख कुशल और अकुशल कामगारों को केंद्र में रख औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति – 2016 के संशोधन में विशेष रूप से ख्याल रखा गया है। यह औद्योगिक इकाइयां बाहर से लौटे कामगारों के जीविकोपार्जन एवं औद्योगिक क्रियाकलापों के नए अवसर उपलब्ध कराएगी उन्हें विशेष प्रोत्साहन पैकेज दिया जाएगा। इसमें नौ सेक्टरों को विशेष रूप से प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल किया गया है।
इन कामों के जरिए की जाएगी बेरोजगारी दूर
इनमें फसल अवशेष पर आधारित उद्योग भी शामिल है। इसके अलावा फ्लाई एश से ईंट उत्पादन, धान के भूसा पर आधारित उद्योग, कृषि अवशेष पर आधारित उद्योग, ऑटोमोबाइल, रक्षा उपकरण निर्माण करने वाली अनुषंगी इकाइयां, आभूषण निर्माण, धातु एवं फेब्रिकेशन, खेल-कूद सामग्री निर्माण व दूरसंचार शामिल हैं।
सरकार बढ़ा रही है रोजगार के अवसर
उद्योग विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जो औद्योगिक इकाई बिहार के बाहर से लौटे कामगारों को अपने श्रमिक पूल में कम से कम 20 प्रतिशत नियोजन अनिवार्य रूप से देंगी, उन्हें विशेष प्रोत्साहन पैकेज का लाभ दिया जाने लगा है। तीन वर्षों में इन औद्योगिक इकाईयों को अपनी पूर्ण क्षमता के अनुरूप वाणिज्यिक उत्पादन करना होगा। बिहार लौटे कामगारों को रोके रखने के उद्देश्य से एक वर्ष के भीतर इन्हें अपनी क्षमता का 25 प्रतिशत तक ट्रायल उत्पादन करना होगा।
हर जिलों को विशेष राशि
जिलाधिकारियों की देख-रेख में सभी जिलों में जिला औद्योगिक नव प्रवर्तन योजना चलेगी। इसके लिए जिलों को राशि उपलब्ध करायी जाएगी। इसके तहत सिलाई केंद्र की स्थापना, पेवर ब्लॉक उपकरण, हस्तकरघा बुनाई केंद्र, बढ़ाईगिरी केंद्र आदि शुरू होंगे।
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