नई दिल्ली : तापमान बढ़ने के बाद एक्सप्रेस-वे पर काम शुरू होगा। एक सप्ताह में आइआइटी रुड़की से सड़क के नमूनों की रिपोर्ट आने की संभावना है। इससे पता चलेगा कि सड़क की कितने फीसद पुरानी सामग्री उपयोग में लाई जा सकती है। ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे का कायाकल्प हाट इन प्लेस तकनीक से होना है। इससे सात वर्ष तक इस तकनीकी से बनी सड़क नहीं टूटेगी। अचानक तापमान में गिरावट आने से काम शुरू करने की योजना स्थगित हो गई है।

प्राधिकरण वर्क सर्किल-10 वरिष्ठ प्रबंधक से बातचीत-
चयनित कंपनी सीएस इंफ्रा ने एक्सप्रेस-वे पर नोएडा-ग्रेटर नोएडा बार्डर प्वाइंट के पास अपना प्लांट लगाया है। प्राधिकरण वर्क सर्किल-10 वरिष्ठ प्रबंधक एसपी सिंह ने बताया कि हाट इन प्लेस रिसाइक्लिग तकनीक से एक्सप्रेस-वे की मरम्मत होनी है। री-सर्फेसिग शुरू होने के करीब छह माह में कार्य पूरा कर लिया जाएगा।एक्सप्रेस-वे पर महामाया फ्लाइओवर स्थित जीरो माइल से नोएडा के हिस्से तक कायाकल्प करने की योजना है। यानी नोएडा के पूरे हिस्से का नवनिर्माण होगा। अभी यह तय नहीं है कि ग्रेटर नोएडा की ओर के हिस्से का क्या होना है।
नई तकनीक से होगा कार्य-
कोरोना काल में जहां प्राधिकरण अपने खर्चे कम करने में जुटा है, वहीं यह तकनीक प्राधिकरण को एक बड़ी बचत देगी। रांची स्थित रिग रोड समेत बैंगलुरू में हाट इन प्लेस तकनीक से काम हो चुका है। नई तकनीक से काम करने में प्राधिकरण को 31 करोड़ रुपये की बचत होगी। यदि पुरानी पद्धति से काम किया जाता, तो इसकी लागत 92 करोड़ आती। इसके विपरीत नई तकनीक से निर्माण में 62 करोड़ रुपये का ही खर्च आएगा।
सैंपल भेजे गए आइआइटी रुड़की-
एक्सप्रेस-वे के निर्माण के बाद मरम्मत की जरूरत महसूस हो रही थी। प्रति किलोमीटर पर कोर कटिग कर सैंपल आइआइटी रुड़की को भेजे गए है। इसमें यह पता लगेगा कि पुरानी सामग्री नए निर्माण में कितनी कारगर होगी। इस आधार पर सबसे बेहतरीन सामग्री का 20 से 30 फीसद हिस्सा उपयोग में लाया जाएगा। यदि पुरानी सामग्री की गुणवत्ता ठीक नहीं हुई, तो फीसद पहले से कम होता जाएगा। इसकी रिपोर्ट एक सप्ताह में प्राधिकरण को मिल जाएगी।