जनतंत्र डेस्क, गुजरात: गुजरात दंगों पर SIT कि रिपोर्ट को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसी कड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुजरात दंगों पर एक इंटरव्यू दिया है। इस दौरान उन्होंने दंगे के दौरान हुए सभी घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी और साथ ही आरोपों पर भी सफाई दी। आपको बता दें, 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे। 2002 में उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद स्थित अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती ‘गुलबर्ग सोसाइटी’ को निशाना बनाया था। इसमें जकिया जाफरी के पति पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे। इनमें से 38 लोगों के शव बरामद हुए थे, जबकि जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया था।
इंटरव्यू में अमित शाह की खास बात
अमित शाह ने ANI से खास बातचीत में कहा , सुप्रीम कोर्ट ने पूरे आरोपों को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि आरोप राजनीतिक है। देश का एक बड़ा नेता पिछले 18-19 साल से चुपचाप आरोपों को सुनता रहा। इस तरह के ट्रायल का सामना कोई मजबूत व्यक्ति ही कर सकता है। मोदी जी न्यायिक प्रक्रिया के दौरान कुछ नहीं कहा चुपचाप सभी आरोपों को सहते रहे। एक शख्स के खिलाफ लगातार निंदा भरी बात कही जाती रही हो, वैसी सूरत में कुछ ना बोलना बड़ी बात है। वो शख्स न्यायिक फैसले का इंतजार करता रहा और आखिरकार ‘सत्य सोने की तरह चमकता’ हुआ बाहर आ गया।
क्या है गोधरा कांड?
27 फरवरी, 2002 भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। इस दिन गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन को उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। ट्रेन की बोगी में सवार 59 लोग और एक 16 दिन की बच्ची, जो माँ की गोद में थी जलकर मर गए थे, इसमें ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे। इस घटना के बाद गुजरात में दंगा भड़क उठा था। इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमिशन नियुक्त किया था, जिसका मानना था कि यह महज एक दुर्घटना थी। इस निष्कर्ष से बवाल खड़ा हो गया और कमिशन को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। इस मामले में 28 फरवरी, 2002 को 71 दंगाई गिरफ्तार किए गए थे। FIR में लिखवाया गया कि साबरमती एक्सप्रेस ने जैसे ही गोधरा स्टेशन छोड़ा, दंगाइयों ने उसके कोच एस-6 को आग के हवाले कर दिया था। इस मामले में गोधरा नगर पालिका के तत्कालीन अध्यक्ष और कांग्रेस के अल्पसंख्यक संयोजक मोहम्मद हुसैन कलोटा को मार्च में गिरफ्तार किया गया था। वहीं 1 मार्च 2011 को विशेष न्यायालय ने गोधरा कांड (काण्ड) में 11 को फांसी, 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।