नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के ये बोल कि धारा 370 और अनुच्छेद 35A पर चिंता करने की जरुरत नहीं है, कहीं से भी बीजेपी के जम्मू-कश्मीर पर किए वादे से मेल नहीं खाते तो क्या बीजेपी अपने चुनावी वादे पर नरम पड़ रही है। ये सवाल इसीलिए भी हर लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी जम्मू-कश्मीर के लिए बीजेपी का वादा वही दशकों पुराना था यानि सत्ता में आए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 A को खत्म करेंगे । लेकिन अब जबकि चुनाव खत्म हो गए हैं तो जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने एक अलग ही सुर छेड़ दिए हैं।
गौरतलब ये भी है कि कुछ दिन पहले ही अमित शाह ने गृहमंत्री बनते ही सबसे पहली बैठक ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल से की थी और राज्य के हालात का जायजा भी लिया। जिसके बाद से ही बीजेपी के चुनावी वादे को लेकर सुगबुगाहट तेज थी लेकिन राज्यपाल ने अब इस पर विराम लगाने की कोशिश की है । दरअसल बीजेपी के संकल्प पत्र में कुछ ऐसे मुद्दे शामिल किए जाते रहे हैं जो बीते कई चुनावों से कॉपी पेस्ट होते चले आ रहे हैं। राम मंदिर से लेकर धारा 370, अनुच्छेद 35 ए कुछ ऐसे ही मुद्दे हैं । बात धारा 370 की करें। ये मुद्दा बीजेपी तीन दशक से ज्यादा वक्त से उठाती चली आ रही है लेकिन आज तक इस का कोई हल बीजेपी निकाल नहीं पाई है।
1984 से 2019 तक धारा 370 पर कोई हल नहीं निकाल पाई बीजेपी
1984 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने धारा 370 हटाने की घोषणा की थी । 3 दशक बाद भी इस मुद्दे का हल निकालने में बीजेपी विफल साबित हुई है। 2013 में नरेन्द्र मोदी ने कहा था – धारा 370 पर देशभर में बहस होनी चाहिए। बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में ये वादा भी किया था..पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। 2015 में PDP के साथ BJP ने जम्मू कश्मीर में गठबंधन की सरकार बनाई। 1984 से 2019 तक धारा 370 पर फिर भी कोई हल नहीं निकाल पाई बीजेपी ।
अनुच्छेद 35 ए
यानि चुनावी वादा हर बार सिर्फ किया जाता रहा निभाया कभी नहीं गया…चुनाव बीतने के बाद मामला हर बार ठंडे बस्ते में चला गया…आखिर चुनाव बाद धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए पर कदम आगे बढ़ाने से हिचकती क्यों रही है बीजेपी….अब आपको ये बताते हैं कि आखिर क्या है धारा 370..जिसपर अब तक न जाने कितनी सियासत हो चुकी है…भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करती है। संसद को प्रदेश में रक्षा, विदेश और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है।अन्य विषयों को लेकर कानून बनाने पर केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती है। 370 के कारण कश्मीर में पाकिस्तानियों को भी भारत की नागरिकता मिल जाती है। धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में सूचना का अधिकार लागू नहीं होता है।
जमीन खरीदने, रोजगार और योजनाओं का लाभ
धारा 370 के साथ ही अनुच्छेद 35ए का जिक्र आते ही जम्मू-कश्मीर की सियासत में उबाल आ जा है। ऐसे में ये समझना भी जरूरी हो जाता है कि क्या है अनुच्छेद 35-ए ? दरअसल अनुच्छेद 35-A से जम्मू कश्मीर के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते हैं। जम्मू कश्मीर सरकार उन लोगों को स्थाई निवासी मानती है,जो 14 मई 1954 के पहले यहां रह रहे हैं । 1954 के पहले से घाटी में रह रहे लोगों को जमीन खरीदने, रोजगार और योजनाओं का लाभ मिलता है । देश के किसी भी राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में जाकर स्थाई निवासी के तौर पर नहीं रह सकता। दूसरे राज्य के निवासी ना तो कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं, ना राज्य सरकार उन्हें नौकरी दे सकती है । राज्य की कोई महिला अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उस महिला के अधिकार खत्म हो जाते हैं।
वासिन्द्र मिश्र, जनतंत्र टीवी