जनतंत्र डेस्क, श्रीनगर: कौशल और जज्बा हो तो मुश्किल से मुश्किल हालात में भी आप निखर सकते हैं और समाज के लिए खुद प्रेरणा बन सकते हैं। हम बात कर रहे हैं श्रीनगर के तेली भाईयों की। जो जन्म से अंधे हैं लेकिन उनकी असाधारण प्रतिभा ने उन्हें खास बना दिया।
दो कश्मीरी भाई, 45 वर्षीय गुलाम नबी तेली और 40 वर्षीय मोहम्मद हुसैन, जो जन्म से अंधे हैं। लेकिन श्रीनगर में फैशनेबल और कशीदाकारी रजाई सिलने में ये माहिर हैं। अपने पिता की मदद से दोनों भाई ग्राहकों के लिए आधुनिक रजाई, कुशन और गद्दे बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। उन्हें स्थानीय रजाई-डीलर से बड़े ऑर्डर मिलते हैं और स्थानीय लोगों के बीच अब वह काफी लोकप्रिय हैं।
तेली बंधुओं ने देहरादून में राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान में प्रशिक्षण लिया है। यहां इन्होंने उन्होंने ब्रेल और गृह विज्ञान सीखा। इनका कहना है कि दोनों अपने पिता के साथ काम करते हैं और प्रशिक्षण के लिए देहरादून गए थे, वे खुश हैं कि अपनी मेहनत से कमाते हैं। हमारे माता-पिता भीख मांगने के खिलाफ थे, उन्होंने हमें भीख न मांगना सिखाया, बल्कि खुद मेहनत करके आजीविका अर्जित की।
हालांकि पहले इनके लिए 1000 प्रति महीना पेंशन भी शुरू हुई थी लेकिन वह एक ही महीना आई फिर बंद हो गई। मोहम्मद हुसैन ने बताया अपने घर के करीब अपनी छोटी सी दुकान में, हम दोनों भाई गद्दे के कवर सिलते हैं और कॉटन से कुशन कवर भरते हैं, किसी के आगे भीख नहीं मांगते और ना ही सरकार पर आश्रित हैं। तेली बंधु अब हर किसी के लिए प्रेरणा बन गए हैं।