Jharkhand में क्यों हारी बीजेपी? क्या लोकल मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों पर भारी पड़ गए?
नई दिल्ली : देश में छिड़ी नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) और एनआरसी (NRC) पर बहस के बीच बीजेपी (BJP) के लिए झारखंड (Jharkhand) से अच्छी खबर नहीं है। राज्य में 5 सालों से सत्ता में काबिज बीजेपी की करारी हार हुई है। हालांकि शुरुआती रुझानों में ऐसा लग रहा था कि झारखंड के नतीजे किसी के भी पक्ष में नहीं जाएंगे, लेकिन बाद में कांग्रेस (Congress) और जेएमएम (JMM) ने अच्छी खासी बढ़त बना ली। सवाल है कि आखिर क्यों बीजेपी के हाथों से झारखण्ड की सत्ता फिसल गई।
Jharkhand की जनता ने राष्ट्रीय मुद्दों की बजाय लोकल मुद्दों पर वोट किया?
झारखंड में बीजेपी की हार की पड़ताल करें तो पहला सवाल यही उठता है कि क्या झारखंड की जनता ने राष्ट्रीय मुद्दों (National issues) की बजाय लोकल मुद्दों (Local Issues) पर वोट किया। बीजेपी की चुनावी रणनीति देखें, तो चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी (PM MODI) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की जितनी भी रैलियां हुईं, सभी में मोदी और शाह ने राष्ट्रीय मुद्दों पर फोकस किया। रैलियों में जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से आर्टिकल 370 (Article 370) को हटाने से लेकर, नागरिकता कानून और एनआरसी के मुद्दों को बीजेपी के दोनों शीर्ष नेताओं ने खूब उठाया।
झारखंड के बड़े बीजेपी नेता भी अपनी रैलियों में राष्ट्रीय मुद्दों की बात करने से चूकते नहीं थे, लेकिन बीजेपी शायद जनता के मूड को समझ नहीं पाई। लोकसभा चुनाव में तो राष्ट्रीय मुद्दे चलते है और बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है लेकिन विधानसभा चुनाव (Assembly Election) लोकल मुद्दे पर लड़े जाते हैं। लोगों को राज्य सरकार से अपनी छोटी-छोटी समस्याओं को सुलझाने की उम्मीद होती है। हालाँकि बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र (Manifesto) में स्थानीय मुद्दों पर ही जोर दिया, लेकिन चुनाव प्रचार (Election Campaign) के दौरान वो जोर नहीं दिखा। शायद उसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा।
वोट में तब्दील नहीं हुआ राम मंदिर मुद्दा
झारखंड चुनाव से पहले ही राम मंदिर (Ram Mandir) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आ चुका था। फैसले के बाद राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया था। बीजेपी ने इसे भी वोट जीतने का मुद्दा समझा। बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने अपनी रैली में राम मंदिर निर्माण की बात कही।
अमित शाह ने एक रैली के दौरान ऐलान कर दिया कि 4 महीने में अयोध्या में राम मंदिर बन जाएगा। उनके ऐलान पर तालियां तो मिलीं लेकिन वोट नहीं मिला। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद झारखंड में पहला चुनाव हो रहा था, लेकिन बीजेपी वोट नहीं खींच पाई। साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राम मंदिर चुनावी मुद्दा नहीं रह गया। ये बात कम से कम झारखंड के नतीजे से जरूर साबित हो गई।