लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गांव की सरकार के गठन को लेकर प्रदेश सरकार जोरशोर से तैयारी में लगी है। इसी बीच तैयार त्रिस्तरीय पंचायत की आरक्षण सूची को लेकर विरोध में इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर नई सूची तैयार की जा रही है। इसका प्रकाशन 27 तक होना है, इसी बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
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मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को वर्ष 2015 के आधार पर आरक्षण सूची तैयार करने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई है। इस मामले के याचिकाकर्ता दलीप कुमार ने शीर्ष कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर विचार करने की मांग की है।
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हाईकोर्ट को दी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानकर प्रदेश में पंचायत चुनाव में सीटों के लिए आरक्षण लागू करने का आदेश दिया गया था। प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले में बड़ी संख्या में लोग संतुष्ट हैं और सरकार 2015 को आधार वर्ष मानकर नई सूुची तैयार करा रही है। दिलीप कुमार नामक युवक ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले पर विचार किया जाना चाहिए। इस बार याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि हाईकोर्ट में उनका पक्ष नहीं सुना गया।
22 मार्च तक चलेगा क्रम
पंचायत चुनाव के लिए हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में नये सिरे से तय पदों के आरक्षण तथा आरक्षित सीटों के आवंटन की पहली सूची शनिवार को प्रकाशित होना शुरू हो गई। अब पंचायती राज विभाग के निर्देश पर प्रदेश में यह क्रम 22 मार्च तक चलेगा।