मुंबई- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भाजपा की मुशकिले बढ़ती नज़र आ रही है शिवसेना और भाजपा आपस में गले मिलने के बावजूद दोनों दिलों के बीच दूरियां देखने को मिल रही हैं। चुनावी नतीजों ने भाजपा नेतृत्व की बेचैनी बढ़ा दी है। शिवसेना को मोलभाव करने का बड़ा अवसर मिल गया है। शिवसेना अब 50-50 फार्मूला को लेकर भाजपा पर दबाव बढ़ाने का मौका नहीं चूकेगी।
राज्य में भाजपा पुराना प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रही
कही न कही चुनावी रणनीतिकार भी मानते हैं कि गठबंधन चुनाव के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा और शिवसेना को बढ़ी बढ़त पाने से रोक दिया। राज्य में भाजपा पुराना प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रही, ज्यादा सीट नहीं हासिल कर सकी जिसके बाद शिवसेना को तेवर दिखाने का मौका दे दिया है।
कार्यकर्ता चुनाव में बेहतर तालमेल नही बैठा सके
भाजपा ने इस चुनाव में 90 फीसदी सीट जीतने की उम्मीद लगा रखी थी। लेकिन लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव में भाजपा शिवसेना का गठबंधन तो हुआ, मगर दोनों दलों के नेता और कार्यकर्ता चुनाव में बेहतर तालमेल नही बैठा सके। लेकिन अब बेपरवाह भाजपा की बेचैनी बढ़ गई है।
उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लिए 50-50 फार्मूलाअपनाने पर जोर दिया
भाजपा की मजबूरियों को भापते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लिए 50-50 फार्मूला अपनाने पर जोर दिया, दबाव बढ़ाने के लिए शिवसेना ने इस फार्मूला के तहत पहले ढाई साल की सत्ता पर सीएम बनाने का अपना दावा भी ठोक दिया है। चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 288 विधानसभा क्षेत्रों में से 224 पर बढ़त हासिल हुई थी। बता दे अब विधानसभा चुनाव में यह घटकर 159 रह गई। गठबंधन के मत प्रतिशत में भी करीब 10 फीसदी की कमी आई है।