नोएडा : एक शहर, जहाँ सपने पलते हैं। शहर, जहाँ रफ़्तार कभी थमती नहीं। शहर, जिसे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की आर्थिक राजधानी कहा जाता है और शहर, जहाँ की प्रति व्यक्ति आय (GDP) प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय से 10 गुना ज्यादा है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, नोएडा (Noida) की। बात इसलिए क्योंकि नोएडा ने अपनी स्थापना के 44 साल पुरे कर लिए हैं।
नोएडा जिला गौतमबुद्ध नगर (GautamBuddh Nagar) का एक भाग है, जिसे देश की हाईटेक सिटी के तौर पर गिना जाता है। नोएडा स्थापना दिवस (Noida Foundation day) मनाने की प्राधिकरण (Noida Authority) ने जोरदार तैयारी की थी, लेकिन कोरोनावायरस (Coronavirus India) के कारण देश भर में जारी लॉकडाउन (India Lockdown) को लेकर स्थापना दिवस से संबंधित कोई भी कार्यक्रम नही मनाया जाएगा।
Noida Foundation day : नोएडा की स्थापना का उद्देशय ?
नोएडा (Noida) का मतलब नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (New Okhla Industrial Development Authority) है। नाम से ही साफ़ है कि इस शहर की स्थापना का उद्देशय औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देना था, जिसमें काफी हद तक कामयाबी भी हासिल हुई है। साथ ही इस शहर की स्थापना में एक वृहद् सोच भी शामिल थी और वो थी गरीब तबके के लोगों को शहरों जैसी सुविधा मुहैया कराना। हालाँकि मौजूदा दौर में जब ये शहर हाईटेक हो चूका है, तो ऐसे में ये सोच फलीभूत होती नज़र नहीं आ रही है। देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) से निकटता के कारण इस शहर ने तेज़ी से सफलता के नए आयामों को छुआ और आज विश्व स्तर पर इस शहर की अपनी अलग पहचान है।
क्यों उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी है नोएडा ?
शहर की स्थापना ही औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, लिहाज़ा स्थापना के बाद से ही यहाँ कई औद्योगिक संयत्रों की स्थापना हुई। बड़े पैमाने पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग की स्थापना हुई और बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिलने भी शुरू हुए। औद्योगिक विकास के कारण उत्तर प्रदेश सरकार को यहाँ से भारी भरकम राजस्व भी प्राप्त होने लगा और इस शहर की पहचान उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी के तौर पर की जाने लगी। मौजूदा समय में देखें, तो भारत और दुनिया भर के तमाम नामचीन ब्रैंड्स के ब्रांच यहां मौजूद है जहाँ बड़ी संख्या में लोग कार्यरत हैं।
क्या है नोएडा से जुड़ा मिथक ?
तमाम तरह की सफलताओं के बावजूद इस शहर से एक मिथक भी जुड़ा है और ये मिथक यहाँ की राजनीति पर हावी भी नज़र आती है। यूपी के राजनीति में ये माना जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में नोएडा दौरे पर आता है, उनकी कुर्सी चली आती है। कई मौकों पर ये मिथक सच भी हुआ है। मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा का दौरा किया था, जिसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में उनकी हार हो गई थी। कुछ ऐसा ही बसपा सुप्रीमों मायावती के साथ भी हुआ।
हालाँकि अखिलेश यादव के मामले में ये मिथक झूठा नज़र आया। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते नोएडा का कभी दौरा नहीं किया, लेकिन बावजूद इसके 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। हालाँकि सीएम योगी ने इस मिथक को तोड़ने की कोशिश जरूर के है, क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कई बार नोएडा का दौरा किया है।