नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुए उपद्रव के बाद यूपी गेट समेत अन्य धरनास्थल फीके पड़ गए थे। किसान नेताओं से धरनास्थल खाली करने के आदेश जारी किए गए। पुलिसबल हटाने की तैयारी कर चुका था, लेकिन अचानक बदले हालात के बाद न सिर्फ पुलिसबल बैरंग लौटा। बल्कि धरनास्थल पर किसानों की तादात भी तेजी से बढ़ी। इसमें सियासी दलों का अहम रोल रहा। भीड़ बढ़ाने के लिए सभी विपक्षी दलों ने अपने नेता व कार्यकर्ताओं को धरनास्थल में झोंक दिया।
विपक्ष बढ़ा रहा है भीड़-
किसानों के धरनास्थल पर धीरे-धीरे राजनीतिक दलों की भीड़ बढ़ रही है। एक बार यूपी गेट धरनास्थल से किसानों की एक बड़ी जमात के वापस जाने के बाद यहां नजारा बेहद सूना हो चला था। बदले हालात के बाद यहां किसानों की भीड़ उमड़ी है। इसी के साथ राजनीतिक दलों को भी धरनास्थल तक पहुंचने का मौका मिला। बिजली कटने और पानी की सप्लाई रोकने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कहने पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत से मिलने पहुंचे थे। सभी ने धरनास्थल पर बिजली-पानी के अलावा अन्य सुविधा देने की पेशकश की थी। धरने में हो रही राजनीति के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक दल गद्दार है, जो धरनास्थल में समर्थन न करे। बस फिर क्या था सभी को मौका मिला और एक के बाद एक सभी सियासी दल पर्दे के पीछे न रहकर आगे आना शुरू हो गए।
इन राजनेताओं ने भी दिया समर्थन-
रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी, इनेलो प्रधान महासचिव अभय चौटाला, सपा से अतुल प्रधान व कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी समेत विभिन्न पार्टियों के नेता कार्यकर्ताओं के साथ धरनास्थल पर भीड़ बढ़ाने के लिए पहुंचे। धरने के सहारे विपक्ष एकजुट होकर सरकार को घेरने की भरपूर कोशिश में जुटा है। नेता अपने कार्यकर्ताओं से धरनास्थल पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचने की अपील कर रहे हैं।
वाहनों और खाद्य सामग्री के साथ पहुँच रही भीड़-
विपक्षी पार्टियों के अलावा स्थानीय नेता भी तैयारी के साथ जुटे हैं। धरने के सहारे सरकार को घेरकर अपना वोट बैंक बढ़ाना हो या फिर गांव-देहात की राजनीति के तहत पंचायत चुनाव में अपनी धमक बढ़ानी हो। लोग ट्रैक्टर-ट्राली और गाड़ियों में धरनास्थल पर खाद्य सामग्री लेकर पहुंच रहे हैं। इसके लिए पहले अपने-अपने इलाकों में सामान की नुमाइश की जाती है। ताकि चुनाव में वह उनकी सहानुभूति ले सकें।
अपनी पार्टियों का भी कर रहे हैं प्रचार-
यूपी गेट धरनास्थल पर जहां किसान नेताओं के लिए बड़ा मंच है। वहीं, समर्थन के लिए पहुंच रहे राजनेताओं के बड़े मंच पर चढ़ने की मनाही है। उनके लिए अब छोटा मंच तैयार किया गया है। यहां पहले उनके संबोधन की इजाजत नहीं थी, लेकिन अब छोटे मंच से उनको संबोधन के लिए बुलाया भी जाने लगा है, जिसमें वह किसानों के साथ ही अपनी पार्टी की नीतियों का भी प्रचार कर रहे हैं।