नई दिल्ली- केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के थिंक टैंक कहे जाने वाले नीति आयोग ने एक बार फिर हेल्थ इंडेक्स जारी कर दिया है, जहां केरल एक बार फिर स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं में अव्वल दर्जे पर रहा है, तो देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर है। नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स जारी के हाने के बाद यूपी सरकार और केन्द्र सरकार दोनों पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
नीति आयोग ने जारी किया ‘हेल्थ इंडेक्स’
बता दें कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के थिंक टैंक कहे जाने वाले नीति आयोग ने देश में स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं को लेकर रैंकिंग जारी की है, जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। चिकित्सा सेवाओं के मामलों में लेफ्ट शासित केरल देश का नंबर वन राज्य बन गया है। जबकि देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य यूपी इसमें फिसड्डी साबित हुआ है। उत्तर प्रदेश को सबसे निचले पायदान पर जगह मिली है।
नीति आयोग की दूसरी रिपोर्ट
केरल लगातार दूसरी बार नीति आयोग की रैंकिंग में टॉप पर रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्व बैंक के तकनीकी सहयोग से तैयार नीति आयोग की इस रिपोर्ट का टाइटल स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत है। ये रिपोर्ट 23 इंडेक्स के आधार पर तैयार की गई है।
यूपी सबसे नीचले पायदान पर स्थित
ये दूसरा मौका है जब आयोग ने स्वास्थ्य सूचकांक के आधार पर राज्यों की रैंकिंग तैयार की है। इस तरह की पिछली रैंकिंग फरवरी 2018 में जारी की गई थी, जिसमें 2014-15 के आधार पर 2015-16 के आंकड़ों की तुलना की गई थी। वहीं, इस बार देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश हेल्थ इंडेक्स में सबसे निचले पायदान पर रहा है।
योगी के मंत्री का बयान
नीति आयोग की रिपोर्ट पर यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का मतलब केवल शौचालय होता है और वो इसमें अव्वल दर्जे पर हैं। एक तरफ नीति आयोग के आंकड़े हैं और दूसरी तरफ यूपी के स्वास्थ्य मंत्री की दलील। इस बीच विपक्ष को बीजेपी सरकार पर हमलावर होने का मौका मिल गया है। कांग्रेस के नेता पीएल पुनिया ने रैकिंग को लेकर राज्य और केन्द्र सरकार से जवाब की मांग की है, तो समाजवादी पार्टी के नेता रविदास मेहरोत्रा ने भी इस मुद्दे पर यूपी सरकार को घेरते हुए कहा कि यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल
हेल्थ इंडेक्स में सबसे निचले पायदान पर उत्तर प्रदेश की रैकिंग कोई चौंकाने वाला विषय नहीं है। यूपी में स्वास्थ्य सेवाओं का किस कदर बुरा हाल है। ये जग जाहिर हो चुका है। अस्पताल में लगे गंदगी के अंबार और बदबू के बीच जमीन पर मरीजों के इलाज की तस्वीरें लगातार सामने आती रहती हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि नेताओं के दावों के बीच यूपी कब तक अपने ऊपर लगे इस दाग को मिटा पाता है।