जनतंत्र डेस्क, भीलवाड़ा: किसी न किसी दिन हमारे सामने ऐसे किस्से आ ही जाते हैं जो दुनिया में नेकदिली जिंदा होने की मिसाल पेश कर देते हैं। ऐसा ही एक वाकया है राजस्थान के भीलवाड़ा का। जहां 18 साल के छात्र ने जोमैटो कर्मचारी को डिलीवरी के लिए बाइक दिलवाने में मदद की। डिलीवरी बॉय चिलचिलाती धूप में साइकिल से ऑर्डर पहुंचाता था। गौर करने वाली बात ये है जोमैटो का ये कर्मचारी इंग्लिश टीचर था लेकिन कोरोना संकट में नौकरी छिन गई।
दरअसल, भीलवाड़ा के रहने वाले 18 साल के आदित्य शर्मा ने क्राउड फंडिंग कर जोमैटो बॉय दुर्गाशंकर मीणा को मंगलवार को स्प्लेंडर बाइक दिलाई। आदित्य ने बताया कि 11 अप्रैल को जोमैटो पर कोल्ड ड्रिंक का ऑर्डर दिया था। दोपहर 2 बजे 40 डिग्री तापमान और चिलचिलाती धूप में दुर्गा शंकर ऑर्डर लेकर आए। ये देख आदित्य का दिल पसीज गया।
✅❤️
All thanks to you guys.
He was emotional during buying bike ❤️ pic.twitter.com/XTgu17byOm— Aditya Sharma (@Adityaaa_Sharma) April 12, 2022
डिलीवरी बॉय ने साइकिल पर भी आदित्य तक टाइम से ऑर्डर पहुंचाया। आदित्य ने जोमैटो कर्मचारी से बात की तो पता चला कि वह बेहद गरीब है। नौकरी छूटने के बाद रुपयों की किल्लत इतनी कि रहने का ठिकाना भी नहीं बचा। जिसके बाद 18 साल के कस्टमर आदित्य ने दुर्गाशंकर को बाइक दिलाने की ठान ली।
आदित्य ने ट्विटर पर लोगों से मदद मांगी और क्राउड फंडिंग से मात्र दो घंटे में 1.90 लाख रुपए कलेक्ट हो गए। इसके बाद डिलीवरी बॉय को स्प्लेंडर बाइक दिलाई गई। बाकी के रुपयों से डिलीवरी बॉय अपना लोन भी चुकता करेगा। आदित्य ने बाइक पर बैठाकर दुर्गाशंकर के फोटो भी खींचे।
Today my order got delivered to me on time and to my surprise, this time the delivery boy was on a bicycle. today my city temperature is around 42 °C in this scorching heat of Rajasthan he delivered my order on time
I asked for some information about him so 1/ pic.twitter.com/wZjHdIzI8z
— Aditya Sharma (@Adityaaa_Sharma) April 11, 2022
कोरोना ने टीचर को बनाया डिलीवरी बॉय
दुर्गा शंकर मीणा सांवर के रहने वाले हैं। 12 सालों तक एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश के टीचर रहे हैं। कोरोना काल में स्कूल बंद होने से बेरोजगार हो गए। घर में भी कोई नहीं है। पिता का देहांत हो चुका है और मां नाता विवाह कर छोड़कर चली गई। गांव में पुश्तैनी घर था, लेकिन डूब में आने के कारण उसका मुआवजा मिल चुका था। वह रहने जैसा भी नहीं रहा। जिसके बाद दुर्गाशंकर ने जोमैटो में डिलीवरी बॉय की नौकरी शुरू की।