जनतंत्र डेस्क, जयपुर: जिनके एक इशारे पर राजस्थान के गुर्जर माहौल बदल देते थे, जिनकी एक हुंकार पर राजस्थान थम जाता था गुर्जर आंदोलन का बड़ा चेहरा कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद जयपुर में उनका निधन हो गया। बैंसला ने साल 2007 में गुर्जरों को राजस्थान में आरक्षण दिलाने के लिए बड़ा आंदोलन किया था। उस दौरान पूरे राजस्थान में रेलवे ट्रैक और सड़कें रोक ली गई थीं।
गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन की जानकारी उनके बेटे विजय बैंसला ने दी। उन्होंने बताया कि किरोड़ी सिंह बैंसला लंबे समय से बीमार थे। जयपुर अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था जहां 81 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
शिक्षक से शुरूआत, सेना में कर्नल बन कमाया नाम
किरोड़ी सिंह बैंसला गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख थे। उन्होंने बड़े गुर्जर आंदोलन की अगुवाई की। उन्होंने शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी लेकिन पिता फौज में थे इसलिए उनका रुझान फौज की तरफ हो गया। किरोड़ी सिंह बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में बतौर सिपाही भर्ती हो गए। उन्होंने 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान का युद्ध लड़ा। किरोड़ी सिंह बैंसला पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे इसी जाबांजी ने उन्हें सिपाही से कर्नल बना दिया।
गुर्जर आंदोलन के लिए लड़ते रहे
किरोड़ी सिंह बैंसला ने रिटायर होने के बाद राजस्थान में गुर्जर समाज के अधिकारों के लिए काम करना शुरू किया। किरोड़ी सिंह ने गुर्जरों के आरक्षण को लेकर लगातार आंदोलन किए। गुर्जरों के हक में आवाज उठाई। नतीजतन गुर्जरों को सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण दिलाने में कामयाब रहे। पहले राजस्थान के गुर्जर ओबीसी में थे, लेकिन बैंसला के दबाव में सरकार को एमबीसी में गुर्जरों को शामिल करना पड़ा। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर प्रकाश जावड़ेकर समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने दुख जताया।