नई दिल्ली : एक तरफ जहाँ कांग्रेस, बीजेपी को मात देने को लेकर तमाम तरह की रणनीति पर काम कर रही है, वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस के राज्य इकाइयों में गुटबाजी चरम पर नज़र आ रही है। बीते साल मध्य-प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस, मौजूदा समय में कई खेमों में बंटी नज़र आ रही है और हर एक गुट में अपने वर्चस्व को स्थापित करने की होड़ मची हुई है। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि मध्य-प्रदेश कांग्रेस में हो रहे घटनाक्रम इन बातों की तस्दीक करते हैं।
दरअसल मध्य-प्रदेश सरकार में वन मंत्री प्रदेश के कद्दावर आदिवासी नेता उमंग सिंघार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को को ब्लैकमेलर से लेकर और शराब का कारोबारी तक बता दिया, जिसके बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया को सामने आना पड़ा और अनुशासन में रहने की हिदायत देनी पड़ी। कमलनाथ सरकार में ही कानून मंत्री पीसी शर्मा दिग्विजय के बचाव में उतर आये और कहा कि उमंग सिंघार पीसीसी चीफ बनने के चलते जानबूझकर दिग्विजय सिंह पर निशाना साध रहे हैं।
वहीं इन सबके बीच कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उमंग सिंघार का बचाव करते हुए कहा कि सरकार को अपने दम पर चलना चाहिए किसी का हस्तक्षेप सरकार में नहीं होना चाहिए। दिग्विजय सिंह और उमंग सिंघार के बीच जारी तल्खी को लेकर जब सिंधिया से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि उमंग जी ने जो मुद्दे उठाए हैं, उसको अच्छे तरह से सुनना चाहिए।
आगे उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस विषय पर दोनों पक्षों को बैठाकर विवाद का समाधान जल्द निकालना चाहिए, क्योंकि 15 साल की कड़ी मेहनत के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस का शासन आया है। वहीं, अभी 6 महीने भी नहीं हुए हैं लेकिन ये सब हो रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोगों की विकास को लेकर कई अभिलाषऐं, लेकिन मतभेद अगर हो भी रहे है तो मुख्यमंत्री का दायित्व है कि दोनों पक्षों को बैठाएं और उनकी सुलह कराएं।