Anand Bhawan पर सियासत ? चार करोड़ के टैक्स का नोटिस जारी
नई दिल्ली : सांस्कृतिक प्रतीकों को लेकर देश में विवादों का सिलसिला जारी है | इस बार विवाद के घेरे में है गांधी नेहरू परिवार की विरासत और देश की आजादी की लड़ाई का मुख्य केन्द्र रहा इलाहाबाद का आनंद भवन (Anand Bhawan) है।
नगर निगम ने जारी किया चार करोड़ का टैक्स नोटिस
इलाहाबाद नगर निगम ने Anand Bhawan के नाम चार करोड़ 19 लाख के हाउस टैक्स के बकाये का नोटिस भेजा है। नगर निगम ने यह नोटिस इस भवन के कमर्शियल उपयोग किए जाने के आधार पर भेजा है क्योंकि इस परिसर के दायरे में आने वाले जवाहर लाल नेहरु प्लेनेटोरियम, आंनद भवन और स्वराज्य भवन से इसका ट्रस्ट टिकट लगाकर लाखों रुपये महीने में अर्जित करता है |
वहीं कांग्रेस पार्टी ने Anand Bhawan को गृहकर का नोटिस भेजे जाने को लेकर सियासी बखेड़ा खड़ा कर दिया है, उसने इसी बहाने साबरमती ट्रस्ट और संसद पर भी टैक्स लगाने की मांग कर दी है। इलाहाबाद नगर निगम प्रशासन की तरफ से जवाहर लाल नेहरु ट्रस्ट को जारी चार करोड़ से अधिक के बकाया हाउस टैक्स के इस नोटिस से सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया है |
- इलाहाबाद में स्थित नेहरू-गाँधी परिवार का पूर्व आवास है जो अब एक संग्रहालय के रूप में है
- मोतीलाल नेहरू ने इस नए भवन का निर्माण करवाया और अपने पुराने आवास को कांग्रेस के कार्यों हेतु स्थानीय मुख्यालय बना दिया
- नेहरू और इंदिरा गांधी के जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनायें यहाँ घटित हुई
- स्वतंत्रता आन्दोलन में इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व रहा
- पंडित नेहरू ने 1928 में पहली बार यहीं ‘पूर्ण स्वतंत्रता’ की घोषणा करने वाला भाषण लिखा
- बड़ी संख्या में आते हैं पर्यटक आनंद भवन
Anand Bhawan को सत्तर के दशक में इन्दिरा गांधी ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया
नेहरु-गांधी खानदान के पैतृक आवास स्वराज भवन और आनन्द भवन को पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने सत्तर के दशक में राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। बाद में इसके रख रखाव के लिए ट्रस्ट बनाया गया। आनन्द भवन और स्वराज भवन की जिम्मेदारी जवाहर लाल नेहरु मेमोरियल फंड को सौंपी गई है।
स्वराज भवन में जहां बाल भवन बनाया गया। वहीं Anand Bhawan में म्यूजियम और प्लेनेटोरियम संचालित हो रहा है। जिसमें प्रतिदिन हजारों लोग पहुंचते हैं। इसके रख रखाव के लिए ही यहां आने वाले लोगों से प्रवेश शुल्क लिया जाता है। जिस आधार पर ही नगर निगम ने इसे कामर्शियल गतिविधि मानते हुए गृहकर का नोटिस भेज दिया है।
नगर निगम के मुताबिक पहले Anand Bhawan का गृहकर जमा किया जाता था। लेकिन कई वर्षों से गृहकर अब जमा नहीं हो रहा है। जिसके चलते आनन्द भवन पर दो करोड़ 71 लाख 13 हजार 534 रुपये का बकाया है। ब्याज समेत यह धनराशि चार करोड़ 35 लाख 41 हजार 273 रुपये हो गयी है। वहीं गृहकर की नोटिस भेजे जाने के बाद जवाहर लाल नेहरु मेमोरियल फंड के प्रशासनिक सचिव डॉ एन. बाला कृष्णन ने आठ नवम्बर को मेयर को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधि कामर्शियल नहीं हो सकती है। उन्होंने गृहकर का मूल्यांकन गलत होने की बात कही है। वहीं नगर निगम की नोटिस के बाद कांग्रेस पार्टी ने योगी सरकार पर हमला बोला है। इसे सियासी साजिश बताते हुए साबरमती ट्रस्ट और संसद पर भी टैक्स लगाने की मांग की है।
वहीं दूसरी तरफ भाजपा की वर्तमान मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी का कहना है कि आनन्द भवन प्रबंधन ने बढ़ने वाले हाउस टैक्स पर कभी कोई आपत्ति नहीं दर्ज करायी है। आनन्द भवन की ओर से आपत्ति न दर्ज कराये जाने से बकाया बढ़ता रहा। मेयर का कहना है कि अगर Anand Bhawan प्रबंधन की ओर से कोई आपत्ति आती है तो उस पर विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा है कि स्वराज भवन पर लगने वाली नगर निगम का टैक्स विभाग ही बकायेदारों को नोटिस भेजता है। उनके मुताबिक नगर निगम के बड़े बकायेदारों में आनन्द भवन भी शामिल है, इसलिए ये नोटिस भेजा गया है।
हांलाकि उन्होंने कहा है कि पहले 600 रुपये सालाना गृहकर लगता था। लेकिन इससे पहले आनन्द भवन की ओर से कभी आपत्ति नहीं दर्ज करायी गई थी। उन्होंने कहा है कि Anand Bhawan की ओर से कभी यह जानकारी नगर निगम को दी ही नहीं गई कि हम चैरिटेबल ट्रस्ट हैं और यह भवन राष्ट्र को समर्पित है।
नेहरु मेमोरियल फंड के प्रशासनिक सचिव डॉ एन. बाला कृष्णन ने लिखा पत्र
मेयर ने कहा है कि जवाहर लाल नेहरु मेमोरियल फंड के प्रशासनिक सचिव डॉ एन. बाला कृष्णन ने पहली बार इस मामले में पत्र लिखकर गृहकर का मूल्यांकन गलत होने की बात कही है और पुर्नमूल्यांकन की भी मांग की है। मेयर ने कहा है कि यदि इस सम्बन्ध में जवाहर लाल नेहरु मेमोरियल फंड की ओर से कोई कागजात मुहैया कराये जाते तो कार्यकारिणी में गृहकर कम करने करने पर विचार किया जायेगा।जबकि नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पी.के.मिश्रा के मुताबिक 2003 से Anand Bhawan का गृहकर बकाया है।
उन्होंने कहा है कि हर साल गृहकर बकाये का बिल भेजा जाता और ट्रस्ट की ओर से पार्ट पेमेन्ट भी किया जाता रहा है। उनके मुताबिक आनन्द भवन के पूरे परिसर को लेकर कर का निर्धारण किया जाता है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के मुताबिक आनन्द भवन पर अनावासीय कर निर्धारित किया गया है। उनके मुताबिक नगर निगम की कर निर्धारण नियमावली के तहत ही कर का निर्धारण किया गया है।
भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारुप भी Anand Bhawan में ही बना
Anand Bhawan 1920 से लगातार स्वतन्त्रता आन्दोलन की गतिविधियों का केन्द्र रहा, महात्मा गांधी के साथ ही कांग्रेस के नरम दल से जुड़े सभी बड़े नेताओं का यहां आना जाना रहे। 1928 में पंडित जवाहर लाल नेहरु ने पूर्ण स्वतन्त्रता की घोषणा करने वाला भाषण आनन्द भवन में ही लिखा था। भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारुप भी यहीं बना।
विदेशी कपड़ों की होली भी यहीं जलायी गई। 1930 में इसे कांग्रेस का मुख्यालय बनाया गया, 1940 में यहां कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में महात्मा गांधी के साथ दूसरे बड़े नेता भी शामिल हुए। हांलाकि स्वतन्त्रता मिलने के बाद कांग्रेस मुख्यालय 1948 में दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया। आनन्द भवन को इसके बाद जवाहर लाल नेहरु मेमोरियल फंड के हवाले कर दिया गया। स्वराज भवन में पंडित नेहरु की इच्छा से बाल भवन बनाया गया, जहां आज भी अनाथ बच्चों को रखा जाता है। वहीं Anand Bhawan को 16 नवम्बर 1969 को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया और 1971 में इसे संग्रहालय बना दिया गया।