लखनऊ- लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे थोड़ी देर में आने शुरु हो जाएगे और सभी कि निगाहें देश के सबसे बड़े प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश पर होगी। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें है, तो सबसे ज्याजा हाईप्रोफाइल सीटें भी इसी राज्य में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीएम चेयरपर्सन सोनिया गांधी और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी यूपी से मैदान में है।
इन सीटों पर होगी नजरें
वाराणसी
देश की सबसे हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट वाराणसी से प्रधानमंत्री एक बार फिर मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस ने अजय राय को टिकट दिया है, तो समाजवादी पार्टी ने शालिनी यादव पर भरोसा दिखाया है। वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने धुआंधार प्रचार किया, तो सपा-बसपा ने महारैली से वोटरों को लुभाने की कोशिश की। ऐसे में वाराणसी सीट की लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है।
गोरखपुर
गोरखपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की अग्निपरीक्षा है। इस सीट से बीजेपी ने भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन को टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने मधुसूदन तिवारी को मैदान में उतारा है, तो रामभुआल निषाद को उम्मीदवार बनाया है। 1989 के बाद से यह दूसरी बार है, जब मठ के बाहर का कोई उम्मीदवार चुनावी मैदान में है। 2018 में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी ने उपेंद्र शुक्ला को मैदान में उतारा था। उन्हें प्रवीण निषाद के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
अमेठी
अमेठी लोकसभा सीट, उत्तर-प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से एक है। अमेठी भी देश की हाईप्रोफाइल लोकसभा सीटों में से एक है, जिसका प्रतिनिधित्व खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी कर रहे हैं। अमेठी को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है। अमेठी में कांग्रेस के प्रभुत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां अब तक हुए 18 चुनावों में कांग्रेस को 16 बार जीत मिली है, जबकि एक बार बीजेपी को जीत मिली है। एक बार फिर इस लोकसभा सीट पर राहुल और स्मृति ईरानी के बीच टक्कर है।
रायबरेली
देश की इस हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट पर गाँधी परिवार का एकछत्र राज रहा है। कांग्रेस का यहाँ किस कदर प्रभुत्व स्थापित है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में से कांग्रेस ने 15 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। रायबरेली से एक बार फिर सोनिया गांधी मैदान में है।
आजमगढ़
उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ लोकसभा सीट हाईप्रोफाइल सीटों में से एक हैं। इस सीट से सपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे है। अखिलेश के खिलाफ बीजेपी ने इस सीट से भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने अखिलेश के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। ऐसे में अखिलेश यादव को फायदा हो सकता है। फिलहाल इस सीट पर सपा का ही कब्जा है। मोदी लहर में मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ सीट से बड़ी जीत दर्ज की थी।
सुल्तानपुर
अमेठी, रायबरेली और आजमगढ़ की तरह सुल्तानपुर सीट भी हाईप्रोफाइल सीट माना जाता है। सुल्तान सीट से 2014 में इस लोकसभा सीट से वरुण गांधी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इस केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी अपनी किस्मत आजमा रही है। मेनका गांधी के सामने गठबंधन ने चंद्रभद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने संजय सिंह को मैदान में उतारा है। गठबंधन के बाद मेनका गांधी की राह आसान नहीं नजर आ रही है।
फूलपुर
लोकसभा चुनाव के छठे चरण में यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें टिकी है। गोरखपुर और फूलपुर ही वह दो लोसकभा सीटें है, जहां उपचुनाव में सपा-बसपा गठबंधन का ट्रायल हुआ था। 2014 में दोनों सीटें वाली बीजेपी को उपचुनाव पर बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में बीजेपी विरोधी गठबंधन इस सीट पर अपनी जीत को बरकरार रखने की उम्मीद लगाए हुए है। बता दें कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद केशव राज्य के उपमुख्यमंत्री बन गए थे, जिसके बाद फूलपुर सीट खाली हो गई थी।
यूपी में त्रिकोणीय मुकाबला
बता दें कि 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर 80 में से 71 सीटें जीती थी। यूपी की जनता ने बीजेपी को दिल खोलकर प्यार दिया था। उस समय मोदी लहर में सपा, बसप और कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल ध्वस्त हो गए थे। लेकिन 2019 की राह बिल्कुल अलग नजर आ रही है। 2019 में सपा, बसपा और आरएलडी के साथ आ जाने से बीजेपी की मुश्किले बढ़ती दिख रही है। हालांकि, कई एग्जिट पोल में बीजेपी गठबंधन पर भारी पड़ता दिख रहा है। इस बार यूपी में त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस प्रियंका गांधी पर दांव खेले था और उन्हें पार्टी का महासचिव बनाने के साथ पूर्वांचस की जिम्मेदारी दी थी। अब यह तो नतीजे बताएगे कौन किस पर भारी पड़ता है।