क्या हुआ था उन्नाव रेप की पीड़िता के साथ
उन्नाव : उन्नाव की बेटी को प्यार और फरेब के जाल में फंसाया गया था । जिसने जिंदगी भर साथ निभाने का वादा किया था, उसी ने ऐसे जख्म दिए जिससे वो जीते जी कभी नहीं उबर पाई। उन्नाव रेप पीड़िता के साथ असल में क्या हुआ था।
दरिंदों की ऐसी हालत देखना चाहती थी पीड़िता
उन्नाव रेप पीड़िता मरना नहीं चाहती थी। वो जीना चाहती थी। उन दरिंदों को फांसी के फंदे पर लटकता देखना चाहती थी। जिसने उसे उस हाल में पहुंचाया, जिसका जिक्र मात्र से ही शरीर में सिहरन दौड़ जाये… मन झल्ला जाये…दिल दहल उठे…
बावजूद इसके वो करीब दो दिनों तक मौत से लड़ी, जिंदगी की खातिर। शरीर में असंख्य जख्म थे। बॉडी का सारा पानी सूख गया था। फिर भी कई घंटों तक जीती रही। क्योंकि वो मरना नहीं चाहती थी।
पीड़िता देखना चाहती थी दरिंदों की मौत
लेकिन अफसोस उन्नाव रेप पीड़िता की चाहत ने दम तोड़ दिया। उसकी हिम्मत की मौत हो गई। मौत हो गयी उस हौसले की जो अपने साथ हुई दरिंदगी का बदला लेना चाहती थी। दरिंदों की मौत देखना चाहती थी। वो ये सब देख पाती उससे पहले ही उसके शरीर ने जवाब दे दिया। रूह ने जले हुए जख्मों को सहने से मना कर दिया। मर गयी इस देश की एक और बेटी और अंत हो गया।
कब से शुरु हुई दरिंदगी की खौफनाक कहानी
शुक्रवार रात 11 बजकर 40 मिनट पर खत्म हुई दरिंदगी की ये खौफनाक कहानी शुरू हुई थी। करीब डेढ़ साल पहले जब उन्नाव के ही शिवम ने पीड़िता को अपनी गंदी और खौफनाक साजिशों का निशाना बनाया था। बता दे कि हैं कि उन्नाव रेप पीड़िता के साथ अन्याय करने वाला मुख्य आरोपी शिवम के साथ शादी को लेकर पीड़ित का विवाद चल रहा था।
आरोप शिवम ने शादी का झांसा देकर पीड़िता का यौन शोषण किया और बाद में अपने वादे से मुकर गया था। पीड़ित ने जब दबाव बनाया तो आरोपी शिवम ने कोर्ट से शादी के दस्तावेज भी तैयार करवाए। लेकिन इसके बावजूद वो पीड़िता को धोखा देकर फिर से गायब हो गया।
आरोपी ब्लैकमेलिंग पर उतर आया
पीड़िता ने जब दोबारा आरोपी पर शादी का दबाव बनाया तो वो ब्लैकमेलिंग पर उतर आया, लेकिन पीड़िता के बार-बार कहने पर आरोपी ने एक बार फिर उसे बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन पीड़िता को इस बात का इल्म नहीं था कि वो सिर्फ एक बहाना था।
दिसंबर 2018 को पीड़िता जब शिवम की बताई जगह पर मिलने पहुंची तो वहां शिवम के साथ उसका साथी शुभम भी था। दोनों ने पीड़िता को अपनी हैवानियत का शिकार बनाया। गैंगरेप का शिकार हुई पीड़िता जब पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाने पहुंची तो पीड़िता के सामने आरोपियों का रसूख आरोपियों से भी बड़ा दुश्मन बन कर खड़ा था।
पीड़ित और उसके घरवालों को मिलने लगीं धमकियां
पीड़िता चक्कर लगा-लगा कर हार गई लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की उसके बाद जब कोर्ट से वॉरंट आया तब जाकर इस मामले में केस दर्ज हुआ। रायबरेली कोर्ट में केस दर्ज होने के बाद शिवम की गिरफ्तारी तो हो गई लेकिन उसके परिवार की तरफ से पीड़ित और उसके घरवालों को केस वापस लेने के लिए लगातार धमकियां मिलने लगीं,कई बार तो पिता से मारपीट भी हुई।
खौफनाक साजिश को कैसे दिया अंजाम
पीड़िता के पिता को अंदाजा नहीं रहा होगा कि उसे दी जा रही धमकियां हकीकत के कितने नजदीक हैं। दिसंबर को जेल से रिहा होते ही आरोपी शिवम ने अपने दोस्तों के साथ एक और खौफनाक साजिश बुन डाली जेल से रिहा होने के चौथे दिन ही शिवम ने अपनी साजिश को अंजाम दे दिया।
5 दिसंबर को पीड़िता अपने वकील से मिलने के लिए रायबरेली जाने की तैयारी में थी। लेकिन स्टेशन जाने के रास्ते में ही आरोपियों ने उसे घेरकर आग के हवाले कर दिया। पीड़िता ने लगभग एक किमी तक उसी हालत में दौड़ लगाई। किसी के मोबाइल फोन से 112 को फोन किया और पुलिस को घटना की जानकारी भी दी घटना के कुछ घंटों के अंदर ही 5 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ गए।
पीड़िता को इलाज के लिए लखनऊ पहुंचाया गया, हालत बेहद नाजुक होने के चलते एयरलिफ्ट करके गुरुवार रात दिल्ली पहुंचा दिया गया ( 6 दिसंबर 2019 ) सफदरजंग अस्पताल में भर्ती होने के करीब 24 घंटे बाद शुक्रवार रात 11:40 बजे उसने दम तोड़ दिया ( 7 दिसंबर 2019 ) सुबह 12 बजे के करीब पीड़िता के शव का पोस्टमॉर्टम किया गया। दोपहर 1 बजे शव करो दिल्ली से वापस उन्नाव वापस ले जाया गया।
इस तरह खत्म हो गयी एक और हैवानियत की दास्तां खत्म हो गयी एक और लाडो की जिंदगी मार डाली गयी इस मुल्क की एक और बेटी तड़प-तड़प कर एक और निर्भया ने दम तोड़ दिया। सवाल वही पीछे छूट गए क्या उन्नाव की इस बेटी की अंतिम इच्छा पूरी होगी क्या हैदराबाद की डॉक्टर बेटी की तरह उन्नाव की बेटी को भी न्याय मिलेगा ? या फिर जिस तरह आरोपियों को सजा दिलाने के लिए वो कोर्ट, कचहरी की दौड़ लगाती रही। वैसे ही अब उसे न्याय दिलाने के लिए उसके परिवार वालों को दौड़ लगानी होगी।